Supreme Court : बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के मामले में मध्यप्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी अधिकारी खुद जज नहीं बन सकते और यह तय नहीं कर सकते कि कौन दोषी है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने की।
‘घर का सपना हर इंसान का हक’ | Supreme Court
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा, “हर इंसान का सपना होता है कि उसका अपना घर और आंगन हो। यह ख्वाब उसके दिल के बहुत करीब होता है, जिसे किसी भी हालत में छीना नहीं जा सकता।” कोर्ट ने यह भी कहा कि बुलडोजर एक्शन के नाम पर अधिकारियों द्वारा मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। Also Read – Major Development Works : बैतूल नगर में 500 करोड़ की लागत से होंगे बड़े विकास कार्य
परिवार को सामूहिक सजा क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के मनमाने रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर आरोपी एक व्यक्ति है, तो पूरे परिवार को सजा क्यों दी जा रही है? घर को ध्वस्त कर पूरे परिवार को बेघर करना गलत है।” कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस तरह की कार्रवाई से पहले संबंधित अधिकारी को 15 दिनों का नोटिस देना अनिवार्य होगा।
नोटिस प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग
कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है | Supreme Court
15 दिन का नोटिस: बुलडोजर एक्शन से पहले कम से कम 15 दिन का नोटिस देना होगा।
डिजिटल और फिजिकल नोटिस: नोटिस को संबंधित निर्माण स्थल पर चस्पा करना अनिवार्य होगा, साथ ही इसे डिजिटल पोर्टल पर भी अपलोड करना होगा।
तीन महीने में पोर्टल का निर्माण: कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर एक डिजिटल पोर्टल बनाने का आदेश दिया है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके।
छतरपुर में बुलडोजर कार्रवाई पर मचा था बवाल
करीब तीन महीने पहले, मध्यप्रदेश के छतरपुर में पथराव की घटना के बाद सरकार ने बुलडोजर एक्शन के तहत उपद्रवियों के घरों को जमींदोज कर दिया था। इस घटना के बाद विपक्ष ने सरकार पर मनमानी कार्रवाई का आरोप लगाया और जमकर विरोध किया।
2020-2022 के बीच 12,000 निर्माण ध्वस्त | Supreme Court
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 से 2022 के बीच मध्यप्रदेश में लगभग 12,000 अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाया गया है। हालांकि, इस प्रकार की कार्रवाई पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि इसे सही प्रक्रिया के तहत ही किया जाना चाहिए।
एमपी में बुलडोजर एक्शन का इतिहास
मध्यप्रदेश में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 1990 में हुई थी, जब तत्कालीन पटवा सरकार के मंत्री बाबूलाल गौर ने अतिक्रमण हटाने के लिए पहली बार बुलडोजर का इस्तेमाल किया था। इसके बाद से यह राज्य में अतिक्रमण के खिलाफ एक प्रमुख हथियार बन गया है। Also Read – Revenue Collection : कलेक्टर ने राजस्व वसूली की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए