भूस्वामी गिरफ्तार, ठेका लेने वाले को दोषी ठहराया गया
illegal cultivation of opium – बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी तहसील के धसेड़ गांव में 20 नवंबर 2024 को हुए ठेका अनुबंध उल्लंघन के चलते, एक आदिवासी की जमीन पर बिना अनुमति के अफीम की अवैध खेती शुरू कर दी गई। इस मामले में, जमीन के स्वामी (भूस्वामी, अर्थात् छतन पिता मन्नू उईके) को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया गया। 4 मार्च 2025 को आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के अंतर्गत गठित शांति एवं विवाद निवारण समिति ने जांच के बाद ठेका लेने वाले पप्पू चक्रवान को दोषी ठहराया। घटना का मूल कारण अनुबंध में स्पष्ट रूप से निर्धारित प्रतिबंध का उल्लंघन करना रहा।

खबर का विस्तृत ब्योरा | illegal cultivation of opium
- ठेका अनुबंध का विवरण:
धसेड़ ग्राम सभा समिति के स्थायी सदस्य, छतन पिता मन्नू उईके ने 1.5 एकड़ जमीन को 500 रुपये के स्टांप पर नोटराइज्ड समझौते के तहत पप्पू चक्रवान को 10 वर्षों (20/11/2024 – 20/11/2034) के लिए ठेका पर दिया था। अनुबंध में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि भूमि पर किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि—विशेषकर मादक पदार्थों की खेती—नहीं की जाएगी। Also Read – Betul coal mine accident : बैतूल कोयला खदान हादसा, 3.5 किमी अंदर दबे कर्मचारी - अवैध अफीम की खेती और गिरफ्तारी | illegal cultivation of opium
ठेका लेने वाले पप्पू चक्रवान ने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करते हुए, भूस्वामी की अनुमति या जानकारी के बिना जमीन पर अफीम की खेती शुरू कर दी। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के तहत भूस्वामी (छतन पिता मन्नू उईके) को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी का आधार अनुबंध में निर्धारित प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए अवैध अफीम की खेती करना था। - शांति एवं विवाद निवारण समिति का विवरण:
आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के अंतर्गत गठित यह समिति स्थानीय विवादों के समाधान के लिए पारंपरिक न्याय प्रणाली का पालन करती है। कानूनी स्थिति: यह समिति पेसा एक्ट और मध्यप्रदेश पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम-2022 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है।- निर्णय प्रक्रिया: समिति विवाद के पक्षों से सुनवाई करने के बाद पारंपरिक न्याय पद्धति के आधार पर यह तय करती है कि किसे दोषी और किसे निर्दोष ठहराया जाए।
- कानूनी असर: समिति के निर्णय सीधे तौर पर अदालत के फैसलों के समान नहीं होते, परन्तु स्थानीय प्रशासन और समुदाय में उनका महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
- पारंपरिक न्याय प्रणाली की व्याख्या: (पारंपरिक न्याय प्रणाली को स्पष्ट करें):
पारंपरिक न्याय प्रणाली वह है जिसमें समुदाय के सदस्यों द्वारा सांस्कृतिक रीति-रिवाज, नैतिक मानदंडों और सामूहिक सहमति के आधार पर विवादों का समाधान किया जाता है। इसमें औपचारिक अदालत की तरह कठोर प्रक्रिया नहीं होती, लेकिन स्थानीय स्तर पर यह प्रभावी और स्वीकार्य होती है। - निर्णय एवं प्रशासनिक प्रतिक्रिया:
शांति एवं विवाद निवारण समिति ने जांच के पश्चात ठेका अनुबंध का उल्लंघन करने वाले ठेकागृहिता पप्पू चक्रवान को दोषी ठहराया और एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की।
आदिवासी नेता हेमंत सरेआम ने बताया, “गांव में सुशासन मजबूत करने के लिए 1996 में पंचायत उपवन के तहत पैसा एक बनाया गया था, जिसे 2022 में लागू किया गया। एक्ट के अनुसार, यदि किसी अपराध की सूचना नहीं दी जाती है तो मामला थाने और कोर्ट तक पहुंच जाता है। इस मामले में ग्रामीण कानून के प्रावधान का पालन नहीं किया गया।”
अपर कलेक्टर राजीव नंदन श्रीवास्तव ने कहा,
“ग्राम धसेड, तहसील घोड़ाडोंगरी का मामला संज्ञान में आया है। छतन पिता मन्नू उईके, जो एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार हैं, उनकी रिहाई पर विचार किया जाएगा। साथ ही, पैसा एक्ट के प्रावधान के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।”
(यहाँ ‘रिहाई पर विचार’ का तात्पर्य यह है कि प्रशासन मामले की समीक्षा कर सकता है और कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय में उचित सिफारिशें या सुझाव प्रस्तुत कर सकता है, लेकिन गिरफ्तारी से रिहाई का अंतिम अधिकार न्यायालय के पास होता है।)
यह मामला अनुबंध में निर्धारित प्रतिबंधों का उल्लंघन, पारंपरिक न्याय प्रणाली के तहत विवाद समाधान और प्रशासनिक कार्रवाई के एक जटिल मिश्रण को दर्शाता है। जहाँ पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत भूस्वामी को गिरफ्तार किया, वहीं शांति एवं विवाद निवारण समिति ने ठेकागृहिता पप्पू चक्रवान को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की है। मामला आगे कानूनी प्रक्रिया में है, और अंतिम निर्णय कोर्ट द्वारा ही किया जाएगा। Also Read – Mohan Cabinet Meeting : लिए गए अहम फैसले, किसानों और निवेश को बड़ा लाभ