Soyabean Ka Plant : 15 फीट ऊंचा सोयाबीन का पौधा बना आकर्षण का केंद्र

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देख कर के वैज्ञानिक हुए हैरान, अब होगी रिसर्च

Soyabean Ka Plant – सामान्यतः सोयाबीन की सभी किस्मों के पौधे की ऊँचाई एक से चार फीट के बीच होती है। लेकिन यदि कोई सोयाबीन का पौधा 15 फीट तक की ऊँचाई तक पहुँच जाए, तो इसे एक अद्वितीय घटना ही कहा जाएगा। कृषि विशेषज्ञ भी इस तरह के पौधे की ऊँचाई और दो वर्षों तक उसके जीवित रहने को लेकर बेहद आश्चर्यचकित हैं। अब इस मौसम में इस पौधे से प्राप्त होने वाले बीजों पर शोध करने की योजना बनाई जा रही है।

कहाँ है सोयाबीन का यह अद्भुत पौधा

सोयाबीन का यह अद्भुत पौधा मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के बैतूल बाजार नगर में पाया गया है। यहां के प्रगतिशील किसान और युवा व्यापारी, आशीष वर्मा ने दो साल पहले खरीफ के मौसम में अपनी चाय की दुकान के सामने कुछ सोयाबीन के बीज बो दिए थे। जैसे ही बीज अंकुरित हुए, उनमें से एक पौधा तेजी से बढ़ने लगा। आशीष ने इस पौधे को बचाने का फैसला किया और उसकी नियमित देखभाल करने लगे। जब पौधा बढ़ने लगा तो उन्होंने इसे बांस से बांधकर सहारा दिया। पौधे में समय पर फल आए और फलियों का भी विकास हुआ। अंततः, इन फलियों से उन्हें 400 ग्राम से अधिक बीज प्राप्त हुए। Also Read –  International Yoga Day Ka Video : कहीं आपसे मिस आउट तो नहीं हो गए डॉगी के ये Yoga मूव्स

दो साल पुराना सोयाबीन का पौधा

सोयाबीन के फल पकने के बावजूद, यह पौधा हरा-भरा और जीवंत बना रहा। आशीष ने अपनी चाय की दुकान के सामने इस पौधे की अतिरिक्त सुरक्षा का इंतजाम किया, जिससे उसकी ऊँचाई अब लगभग 15 फीट तक पहुँच गई है। जब भी दुकान पर ग्राहक आते हैं और इस विशाल पौधे को देखते हैं, तो वे अचंभित रह जाते हैं। जब उन्हें पता चलता है कि यह दो साल पुराना सोयाबीन का पौधा है, तो वे इसे एक अनोखी और दुर्लभ घटना मानते हैं।

बीजों को शोध के लिए भेजा जाएगा

बैतूलबाजार के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक विजय वर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे भी इस बात से हैरान हैं कि सोयाबीन का पौधा दो वर्षों में 15 फीट की ऊँचाई तक कैसे पहुँच गया। इस बार यदि इसमें फल लगते हैं, तो उसके बीजों को शोध के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि सामान्यतः सोयाबीन के पौधे तीन से चार फीट की ऊँचाई पर फल लगने के बाद अपना भार नहीं सह पाते और गिर जाते हैं। इसलिए इस विशेष पौधे को बांस के सहारे से बांधा गया, जिससे इसकी ऊँचाई इतनी अधिक हो सकी। यदि इस तरह की ऊँचाई वाली खेती को प्रोत्साहित करना है, तो किसानों को प्रत्येक पौधे के लिए बांस का सहारा देना होगा, जो व्यावहारिक रूप से कठिन है।

सोयाबीन की किस्मों को प्राथमिकता

वैज्ञानिकों के लिए यह अद्वितीय सोयाबीन का पौधा शोध का महत्वपूर्ण विषय हो सकता है, लेकिन व्यावहारिक दृष्टिकोण से, किसान आमतौर पर उन सोयाबीन की किस्मों को प्राथमिकता देते हैं, जो 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती हैं। वे ऐसी किस्मों पर अधिक भरोसा करते हैं, जो कम समय में फसल देने के लिए जानी जाती हैं। यह विचारणीय है कि क्या किसान एक ऐसी किस्म की बुवाई करेंगे, जिसे वर्ष में केवल एक बार उपज देने के लिए बांस के सहारे से लंबा समय तक पालना पड़े। Also Read – Strange Punishment to Students : कॉलेज में मोबाइल इस्तेमाल कर रहे थे स्टूडेंट्स, फिर मिली अनोखी सजा

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