21st Century Amenities : इस गांव में नहीं पहुंच पाई 21वीं सदी की सुविधाएं

21st Century Facilities: 21st century facilities could not reach this village.
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बिजली, मोबाइल और गैस से दूर, लकड़ी के चूल्हे पर बनता है खाना

21st Century Amenities – आज के आधुनिक युग में बिजली के बिना जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। चाहे बच्चे हों या बुजुर्ग, हर किसी को बिजली की जरूरत होती है। घरों में लाइट, पंखे, टीवी, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल एक आम बात बन गई है। लेकिन एक ऐसा गांव भी है, जहां आज भी इन आधुनिक सुविधाओं का कोई नामोनिशान नहीं है।

कुर्मा गांव: जहां प्राचीन तरीके आज भी जीवित हैं | 21st Century Amenities

कुर्मा गांव, जो श्रीकाकुलम शहर से 60 किलोमीटर दूर स्थित है, एक ऐसी जगह है, जहां लोग आधुनिकता से दूर प्राचीन तरीकों से जीवन यापन कर रहे हैं। यहां के निवासी न तो बिजली का इस्तेमाल करते हैं, न गैस, न ही मोबाइल फोन और न ही किसी अन्य आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हैं। इस गांव में हर किसी का जीवन सादगी और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। Also Read – MPESB Bharti : मंडल ने निकाली बंपर वेकेंसी : जल्द शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया

प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित जीवन

कुर्मा गांव के घरों की बनावट बहुत ही साधारण और पारंपरिक है। यहां के सभी घर “पेंकुटिल्लु” यानी चूने और मिट्टी से बने होते हैं। घर में प्रवेश करते ही एक बड़ा हॉल दिखाई देता है, जिसके बगल में “नैय्या” नामक जल आपूर्ति प्रणाली है। यह प्राचीन तकनीक घरेलू जल आपूर्ति के लिए इस्तेमाल की जाती है। हॉल के दाहिने हिस्से में एक पूजा कक्ष और उसके पास एक रसोईघर है, जहां लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाया जाता है।

सादगी और स्वच्छता का अनूठा मिश्रण | 21st Century Amenities

घर के अंदर की फर्श पर गाय के गोबर और मिट्टी को मिलाकर लीपाई की जाती है, जो न केवल घर को स्वच्छ रखता है, बल्कि बैक्टीरिया से भी बचाता है। हर हफ्ते घर की दीवारों को गाय के गोबर और मिट्टी से फिर से लीपने की प्रक्रिया होती है। इन घरों में शौचालय और स्नानघर भी हैं, लेकिन यहां के शौचालयों को जैव-शौचालय कहा जाता है, जिसमें राख का उपयोग किया जाता है ताकि वेस्ट को विघटित किया जा सके और उसे खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

निष्कर्ष: प्राचीन जीवनशैली की मिसाल

कुर्मा गांव आज भी अपनी प्राचीन जीवनशैली को बनाए हुए है, जहां लोग न केवल आधुनिक सुविधाओं से दूर रहते हैं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर जीवन यापन करते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि वे अपने सरल और सशक्त जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हैं, और यह गांव एक उदाहरण है कि कैसे प्राचीन तकनीकों और संसाधनों का उपयोग करके भी खुशहाल जीवन जिया जा सकता है। Also Read – Big Budget for MP : लाड़ली बहना योजना के लिए ₹465 करोड़

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