violation of constitutional rights : ड्रोन सर्वे में आदिवासी भूमि को सरकारी बताया : संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन

Violation of constitutional rights: Tribal land declared government in drone survey: Violation of constitutional rights
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जयस ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, असंवैधानिक कब्जे और भू-अधिकार हनन की जांच की मांग

violation of constitutional rightsबैतूल – ड्रोन सर्वे के जरिए आदिवासी समुदाय की निजी भूमि को गलत तरीके से सरकारी भूमि के रूप में दर्ज किया गया। इस कार्रवाई को संविधान, पेसा एक्ट, और मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता का उल्लंघन बताया गया है।

Violation of constitutional rights: Tribal land declared government in drone survey: Violation of constitutional rights
Violation of constitutional rights: Tribal land declared government in drone survey: Violation of constitutional rights

यह आरोप प्रशासन और संबंधित विभाग पर लगाए गए हैं, जिन्होंने ड्रोन सर्वे के दौरान आदिवासियों की भूमि की सीमाओं में फेरबदल किया। जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने इसका विरोध किया है। Also Read – Tax free in Madhya Pradesh : छत्रपति संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ मध्यप्रदेश में टैक्स फ्री

यह मामला मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मौजा पिपरिया रा.नि.म. चिल्लौर के खसरा नंबर 307, 308, और 321/1 का है।

हाल ही में ड्रोन सर्वे के दौरान यह विसंगतियां सामने आईं। जयस ने पिछले हफ्ते ही कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

जयस के अनुसार, आदिवासियों की भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में शामिल करने का उद्देश्य बाहरी व्यापारियों और गैर-आदिवासियों को लाभ पहुंचाना है। यह संविधान की 5वीं अनुसूची और पेसा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन है।

ड्रोन सर्वे के दौरान सीमाओं में हेरफेर कर भूमि को सरकारी बताया गया।

खसरा नंबर 308 को 70-75 फीट उत्तर दिशा में खिसकाया गया, जिससे भूमि का रकबा नाले में दिखाया गया।

खसरा नंबर 321/1 को धोखाधड़ी से गैर-आदिवासियों के नाम रजिस्ट्री कर दिया गया।

ग्राम सभा की मंजूरी लिए बिना यह कार्रवाई की गई।

जयस की प्रमुख मांगें | violation of constitutional rights

ड्रोन सर्वे की विसंगतियों की उच्च स्तरीय जांच।

संविधान की 5वीं अनुसूची और पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा।

गैर-आदिवासियों को बेची गई जमीन वापस आदिवासियों को सौंपना।

दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई।

ग्राम सभा की स्वीकृति के बिना किए गए बदलावों को निरस्त करना।

इस मामले में संविधान के कई महत्वपूर्ण मूल्यों और प्रावधानों जैसे समानता, न्याय, स्वतंत्रता, 5वीं अनुसूची, पेसा अधिनियम, संपत्ति अधिकार, और सामाजिक न्याय का उल्लंघन किया गया है। आदिवासी समुदाय की भूमि के अधिकारों को संरक्षित करना संविधान द्वारा सुनिश्चित किया गया है, और प्रशासन को इन संवैधानिक मूल्यों का पालन करना चाहिए। Also Read – MP Shikshak : मध्यप्रदेश में शिक्षकों के लिए खुशखबरी : वेतन में वृद्धि

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