Relief from Toll Tax – मोदी सरकार ने वाहन चालकों को बड़ी राहत देते हुए टोल टैक्स को लेकर नया नियम लागू किया है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस घोषणा के साथ वाहन चालकों के लिए एक अहम तोहफा दिया है। यह फैसला न केवल रोजाना यात्रा करने वालों के लिए, बल्कि सभी निजी वाहन चालकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
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नए नियम के तहत टोल टैक्स में छूट | Relief from Toll Tax
सरकार के नए नियमों के अनुसार, यदि वाहन चालक अपने वाहन में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का उपयोग करते हैं और 20 किलोमीटर के दायरे में यात्रा करते हैं, तो उन्हें टोल टैक्स नहीं देना होगा। Also Read – Benefits Related to CKYC : बार-बार KYC के झंझट से पाएं छुटकारा
20 किलोमीटर से अधिक यात्रा पर: यदि वाहन चालक 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करते हैं, तो उनसे वास्तविक दूरी के आधार पर टोल टैक्स वसूला जाएगा।
GNSS सिस्टम की अनिवार्यता: यह छूट केवल उन्हीं वाहनों को दी जाएगी, जिनमें GNSS सिस्टम सक्रिय होगा।
परिवहन मंत्रालय ने दी जानकारी
हाल ही में परिवहन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इस फैसले की जानकारी दी। अधिसूचना के अनुसार, यह नया नियम विशेष रूप से निजी वाहन मालिकों के लिए लागू होगा, जो राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर यात्रा करते हैं।
GNSS सिस्टम और पायलट प्रोजेक्ट | Relief from Toll Tax
GNSS सिस्टम का उपयोग: यह प्रणाली वाहन की यात्रा की सटीक दूरी का पता लगाकर टोल टैक्स निर्धारित करती है।पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत:कर्नाटक के नेशनल हाइवे 275हरियाणा के नेशनल हाइवे 709
इन दोनों स्थानों पर इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है।सफलता के बाद पूरे देश में लागू: यदि इन पायलट प्रोजेक्ट्स की रिपोर्ट सकारात्मक रहती है, तो सरकार इसे देशभर के अन्य राजमार्गों पर भी लागू करेगी।
वाहन चालकों के लिए फायदे
रोजाना यात्रा करने वालों को राहत: 20 किलोमीटर के दायरे में यात्रा करने वाले वाहन चालकों को अब टोल टैक्स नहीं देना होगा।यात्रा सस्ती और सुविधाजनक: GNSS सिस्टम से वास्तविक दूरी के आधार पर टोल टैक्स वसूला जाएगा, जिससे अनावश्यक खर्च से बचा जा सकेगा।डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली: GNSS सिस्टम के साथ टोल टैक्स प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और डिजिटल हो जाएगी।
क्या है GNSS सिस्टम? | Relief from Toll Tax
GNSS (Global Navigation Satellite System) एक सैटेलाइट-आधारित तकनीक है, जो वाहन की लोकेशन और यात्रा की सटीक दूरी का पता लगाती है। इसे फास्टैग के साथ जोड़ा गया है, ताकि टोल टैक्स का स्वचालित भुगतान किया जा सके।
क्या यह नियम सभी के लिए लागू है?
यह नियम फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ क्षेत्रों में लागू किया गया है। यदि यह सफल रहता है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। Also Read – Private Sector Employees : प्राइवेट कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 6,000 रुपये का इजाफा