गरबा आयोजकों के साथ बैठक
Garba Mahotsav – बैतूल जिले में नवरात्रि के अवसर पर होने वाले गरबा कार्यक्रमों के दौरान महिलाओं, बच्चों और अन्य नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और शहर में शांति एवं सौहार्द्र बनाए रखने के लिए पुलिस अधीक्षक निश्चल झारिया ने गरबा आयोजकों के साथ बैठक की। इस बैठक में प्रमुख गरबा समितियों के अध्यक्षों और संचालकों के अलावा अनुविभागीय अधिकारी पुलिस शालिनी परस्ते और स्थानीय थाना प्रभारियों ने भी भाग लिया।
मुख्य बिंदु जो बैठक में उठाए गए | Garba Mahotsav
सुरक्षा व्यवस्था:
सभी आयोजकों को महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल या प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मी तैनात करने के निर्देश दिए गए। निजी सुरक्षाकर्मियों का सत्यापन भी आवश्यक होगा। Also Read – Svachchhata ki Pathshala : कलेक्टर नरेन्द्र सूर्यवंशी ने ‘स्वच्छता की पाठशाला’ की तैयारियों का किया निरीक्षण
सीसीटीवी निगरानी:
पूरे आयोजन स्थल पर अवांछनीय गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया गया, जिससे हर कोने पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।
आवाज़ नियंत्रण | Garba Mahotsav
डीजे और म्यूजिक के लिए सुप्रीम कोर्ट और स्थानीय प्रशासन द्वारा तय ध्वनि सीमा का सख्ती से पालन किया जाएगा, ताकि ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
Note – ध्वनि प्रदूषण की सीमा और उसके प्रभाव: जानें महत्वपूर्ण बातें
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, रिहायशी इलाकों में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिन और रात के समय की सीमा तय की गई है। सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक का समय “दिन का समय” और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक का समय “रात का समय” माना जाता है।
ध्वनि प्रदूषण की सीमा:
दिन में (सुबह 6 से रात 10 बजे तक): ध्वनि का स्तर 45 डेसीबल से 65 डेसीबल के बीच रहना चाहिए।
रात में (रात 10 से सुबह 6 बजे तक): ध्वनि का स्तर 45 डेसीबल से 55 डेसीबल तक सीमित होना चाहिए।
अगर ध्वनि का स्तर 75 डेसीबल से ऊपर जाता है, तो यह हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। अत्यधिक शोर कानों के लिए हानिकारक होता है और इससे दिल पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, ज्यादा तेज आवाज से घरों की दीवारों में दरारें भी आ सकती हैं, क्योंकि उच्च डेसीबल ध्वनि तरंगों की आवृत्ति को बढ़ा देता है, जो दीवारों और अन्य संरचनाओं को नुकसान पहुँचा सकता है।
ध्वनि प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव:
लगातार उच्च ध्वनि से सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।
तेज शोर से तनाव, सिरदर्द और नींद की समस्या हो सकती है।
हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है।
प्रशासनिक अनुमति | Garba Mahotsav
हर गरबा आयोजन से पहले उचित प्रशासनिक अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा, ताकि आयोजन नियमों के तहत हो।
महिला और बच्चों की सुरक्षा:
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष क्षेत्र तय किए जाएंगे, और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राइवेट सिक्योरिटी की नियुक्ति होगी।
यातायात और पार्किंग व्यवस्था:
आयोजन स्थल के आसपास यातायात को सुचारू बनाने और पार्किंग की उचित व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे।
भीड़ प्रबंधन | Garba Mahotsav
आयोजन स्थल पर प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग होंगे, ताकि भीड़ को सही तरीके से नियंत्रित किया जा सके और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।
अग्नि सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं:
आयोजन स्थल पर अग्नि शमन यंत्र और प्राथमिक उपचार किट की व्यवस्था अनिवार्य होगी, साथ ही किसी भी आपातकालीन स्थिति में एम्बुलेंस की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी।
स्वच्छता और कूड़ा प्रबंधन | Garba Mahotsav
आयोजन स्थल की साफ-सफाई बनाए रखने के लिए कचरा निपटान की उचित व्यवस्था की जाएगी। Also Read – Nal-Jal Yojana : कलेक्टर नरेन्द्र सूर्यवंशी ने नल-जल योजनाओं को शीघ्र पूरा करने के दिए निर्देश
इन सभी निर्देशों का पालन करने से गरबा महोत्सव न केवल सुरक्षित बल्कि शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न हो सकेगा। आयोजकों से अपेक्षा है कि वे इन दिशा-निर्देशों का पूरी निष्ठा से पालन करेंगे, ताकि नवरात्रि का यह उत्सव सभी के लिए सुखद अनुभव बने।