MP News | बैतूल | मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में स्थित ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले शहर मुलताई को अब जल्द ही एक नई लेकिन अपनी मूल पहचान मिलने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बैतूल में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान घोषणा की कि मुलताई का नाम बदलकर अब ‘मूलतापी’ किया जाएगा। इस फैसले से स्थानीय नागरिकों में उत्साह और संतोष का माहौल है।

मुलताई बैतूल जिले का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और वर्षों से लोग इसके पुराने ऐतिहासिक नाम को वापस लाने की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को जनभावनाओं से जुड़ा एक बड़ा निर्णय माना जा रहा है। Also Read – Betul Viral News | सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ का वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग
ताप्ती नदी से जुड़ा है ‘मूलतापी’ नाम का इतिहास | MP News
मुलताई तहसील को देशभर में पहचान दिलाने वाली ताप्ती नदी का उद्गम स्थल यहीं स्थित है। ताप्ती भारत की प्रमुख नदियों में से एक है और धार्मिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व है।
‘मूलतापी’ शब्द का अर्थ होता है — ताप्ती नदी का मूल स्थान, जो इस क्षेत्र की प्राचीन पहचान को दर्शाता है।
हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु ताप्ती नदी के दर्शन और पूजन के लिए यहां पहुंचते हैं। इसी ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत के कारण लंबे समय से शहर का नाम बदलकर ‘मूलतापी’ करने की मांग की जा रही थी।
जनभावना, अभियान और सरकार का निर्णय
शहर के नागरिकों, सामाजिक संगठनों और धर्माचार्यों द्वारा कई वर्षों से नाम परिवर्तन को लेकर जनअभियान चलाया जा रहा था। लोगों का मानना था कि पुराने नाम की वापसी से मुलताई की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत होगी।
इस संबंध में मुलताई विधायक चंद्रशेखर देशमुख द्वारा राज्य सरकार को औपचारिक प्रस्ताव भी भेजा गया था।
विकास की घोषणाओं से भी मिली सौगात | MP News
इसी कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने बैतूल में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंच से आदिवासी संग्रहालय निर्माण की घोषणा भी की। इसके अलावा विभिन्न योजनाओं के तहत हितग्राहियों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई। Also Read – Desi Tareeka : सर्दियों में रतालू उगाने का ये देसी तरीका जान लिया तो बाजार से सब्जी खरीदना भूल जाएंगे !
नाम परिवर्तन से पर्यटन और पहचान को मिलेगा बढ़ावा
मुलताई का नाम बदलकर ‘मूलतापी’ किए जाने से धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक पहचान और स्थानीय विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक विरासत को सहेजने वाला साबित होगा।
