ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी से की जाएगी निगरानी
MP Govt Decision – प्रदेश की जीवन रेखा, नर्मदा नदी को बचाने के लिए मोहन सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब नदी और इसके कैचमेंट क्षेत्र की निगरानी ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी से की जाएगी, जिससे अवैध उत्खनन और अन्य अवांछित गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकेगी। इसके साथ ही, नदी के पूरे क्षेत्र को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
प्राकृतिक खेती और पर्यटन विकास | MP Govt Decision
नर्मदा के दोनों किनारों से 5 किलोमीटर की दूरी तक प्राकृतिक खेती करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, अमरकंटक के पास एक सैटेलाइट सिटी विकसित की जाएगी। बहाव क्षेत्र में स्थित शहरों से निकलने वाला सीवेज अब सीधे नदी में नहीं मिलेगा। अगर ऐसा होता है, तो संबंधित निकाय और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री की बैठक में निर्णय
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और अन्य मंत्रियों ने भी अपने सुझाव दिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि नर्मदा तट पर बसे धार्मिक स्थलों के पास मांस और शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगे और अवैध खनन पर कड़ी कार्रवाई हो।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की योजनाएं
नर्मदा संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि नदी का बड़ा हिस्सा खनन से प्रभावित हुआ है और कैचमेंट क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। सरकार द्वारा लिए गए ये सख्त फैसले तभी कारगर साबित होंगे जब उनका प्रभावी अमल हो।
नर्मदा संरक्षण के कदम | MP Govt Decision
- नर्मदा को स्वच्छ और प्रवाहमान बनाए रखने के लिए जनसहयोग से विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
- शेष घाटों का विकास होगा और नदी के स्वरूप से छेड़छाड़ करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
- सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रयास भी किए जाएंगे।
- आम जनता से संरक्षण के लिए सुझाव लिए जाएंगे और शिकायतों के समाधान के लिए एक प्रभावी मंच तैयार किया जाएगा।
- नर्मदा परिक्रमा पथ पर होमस्टे, भोजन व्यवस्था और सूचना केंद्र स्थापित होंगे, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा।
- परिक्रमा पथ से जुड़ी पंचायतों में तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा।
- नदी क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी।
- नर्मदा किनारे स्थित 430 प्राचीन शिव मंदिरों और दो शक्तिपीठों का संरक्षण किया जाएगा।