Mermaid Syndrome : बैतूल जिला अस्पताल में दुर्लभ विकृति वाले शिशु का जन्म

Mermaid Syndrome: Birth of a baby with rare deformity in Betul District Hospital
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गंभीर स्थिति में हुई मौत

Mermaid Syndromeबैतूल – भैंसदेही विकासखंड के खानपुर गांव में एक दुर्लभ घटना ने स्थानीय लोगों और चिकित्सा जगत को चौंका दिया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसदेही में शनिवार सुबह शीतल नामक महिला ने सामान्य प्रसव प्रक्रिया के माध्यम से एक शिशु को जन्म दिया। लेकिन जन्म के तुरंत बाद ही शिशु की स्थिति गंभीर हो गई। नर्सिंग ऑफिसर संगीता खातरकर ने बताया कि शिशु को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, और उसकी हृदय गति सामान्य से काफी कम थी।

Mermaid Syndrome: Birth of a baby with rare deformity in Betul District Hospital
Mermaid Syndrome: Birth of a baby with rare deformity in Betul District Hospital

दुर्लभ जन्मजात विकृतियां: मरमेड सिंड्रोम का मामला? | Mermaid Syndrome

जन्म के बाद डॉक्टरों ने पाया कि शिशु में कई दुर्लभ और असामान्य जन्मजात विकृतियां थीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि उसके दोनों पैर आपस में जुड़े हुए थे और मछली की पूंछ जैसे दिखते थे। इसके अलावा, शिशु के जननांग भी विकसित नहीं थे। यह दुर्लभ स्थिति मरमेड सिंड्रोम (साइरेनोमेलिया) की ओर इशारा करती है, जो लाखों में किसी एक बच्चे में पाई जाती है। Also Read – Betul News : बाइक पर बेसुध मिला मलेरिया विभाग का कर्मचारी

शिशु की हालत में नहीं हुआ सुधार

शिशु को तुरंत इलाज के लिए जिला अस्पताल रेफर किया गया। हालांकि, अत्यधिक प्रयासों के बावजूद उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और शनिवार दोपहर करीब 2 बजे उसने दम तोड़ दिया। अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार, मरमेड सिंड्रोम जैसी गंभीर विकृति के साथ शिशु का जीवित रहना लगभग असंभव होता है।

स्थानीय लोग और चिकित्सा क्षेत्र में चर्चा का विषय | Mermaid Syndrome

इस दुर्लभ घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में भी इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। नर्सिंग ऑफिसर संगीता खातरकर ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे करियर में ऐसा मामला पहली बार देखा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की स्थितियां गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी, पर्यावरणीय कारकों, या आनुवंशिक विकारों के कारण हो सकती हैं।

विशेषज्ञों की राय

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जगदीश धोरे का कहना है कि मरमेड सिंड्रोम जैसी विकृतियां अत्यंत दुर्लभ होती हैं और ऐसी स्थिति लाखों में किसी एक शिशु में पाई जाती है। उन्होंने बताया कि इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच और उचित पोषण पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

क्या है मरमेड सिंड्रोम? | Mermaid Syndrome

मरमेड सिंड्रोम, जिसे साइरेनोमेलिया भी कहा जाता है, एक दुर्लभ जन्मजात विकृति है जिसमें नवजात के पैर आपस में जुड़े होते हैं, जिससे वे मछली की पूंछ जैसे दिखते हैं। यह स्थिति भ्रूण के विकास के दौरान रक्त प्रवाह में गड़बड़ी या आनुवंशिक कारणों से हो सकती है।

सावधानी और जागरूकता जरूरी

यह घटना गर्भावस्था के दौरान नियमित स्वास्थ्य जांच और पोषण के महत्व को रेखांकित करती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऐसी दुर्लभ विकृतियों से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को सही समय पर चिकित्सा परामर्श लेना चाहिए। Also Read – Betul BJP : मंडल अध्यक्षों की घोषणा, 14 पर दोबारा भरोसा

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