Mahashivratri 2025 – महाशिवरात्रि का पर्व इस वर्ष 26 फरवरी को मनाया जाएगा। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे तक रहेगी। इस दिन रात्रि के प्रहर में पूजा का विशेष महत्व होता है, इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को ही मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान शिव के अभिषेक का विशेष महत्व है, जिसे किसी भी सोमवार को भी किया जा सकता है।
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भगवान शिव के अभिषेक के प्रकार और उनके लाभ | Mahashivratri 2025
भगवान शिव के भक्त विभिन्न वस्तुओं से अभिषेक करते हैं, जिनमें दूध, दही, शहद, चीनी और भस्म प्रमुख हैं। प्रत्येक वस्तु का अभिषेक अलग-अलग प्रकार के पुण्य फल प्रदान करता है। Also Read – MPPSC Bharti : अभियांत्रिकी और खाद्य सुरक्षा अधिकारी परीक्षा का सिलेबस जारी
1. दूध से अभिषेक
- महत्व: शुद्धता और पोषण का प्रतीक
- लाभ: गाय के दूध से अभिषेक करने पर चंद्रमा मजबूत होता है और मानसिक तनाव दूर होता है। यह मन की शांति और संतुलन प्रदान करता है।
2. दही से अभिषेक
- महत्व: समृद्धि और शीतलता का प्रतीक
- लाभ: इससे संतान सुख, घर और वाहन के सुख की प्राप्ति होती है। यह जीवन में स्थिरता और शांति लाने में मदद करता है।
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3. शहद से अभिषेक | Mahashivratri 2025
- महत्व: मिठास और मधुरता का प्रतीक
- लाभ: शहद से अभिषेक करने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है और पुराने रोगों से मुक्ति मिलती है। यह स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देता है। Also Read – MP News : मध्यप्रदेश में विकास की नई पहल: शराब की दुकानें होंगी बंद
4. भस्म से अभिषेक
- महत्व: सांसारिक मोह और बंधनों से मुक्ति का प्रतीक
- लाभ: भस्म से अभिषेक करने से व्यक्ति को भौतिकता से परे आध्यात्मिक शांति मिलती है। यह जीवन के वैराग्य भाव को जाग्रत करता है।
महत्वपूर्ण सलाह:
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का अभिषेक करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रद्धा और भक्ति के साथ किया गया अभिषेक विशेष फलदायी होता है।
डिस्क्लेमर | Mahashivratri 2025
यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले विशेषज्ञ या पंडित से सलाह अवश्य लें। Also Read – MP Rail Budget : मध्यप्रदेश को रेल बजट में मिला 14,745 करोड़ रुपए का तोहफा