किसान भाइयों को मिलेगा अनुदान का लाभ
Kisan News – बैतूल – अब जिले के किसानों के लिए फसलों में दवाओं और उर्वरकों का छिड़काव करना बेहद आसान हो गया है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने ई-यंत्र अनुदान पोर्टल के माध्यम से किसान हितग्राही रश्मि विवेक वर्मा को स्वचालित हाई ग्राउंड क्लियरेन्सी बूम टाइप मशीन उपलब्ध कराई है। इस मशीन की कीमत 18 लाख रुपये है, जिसमें से किसान को 4 लाख रुपये का अनुदान मिला है। बुधवार को सापना सोहागपुर में किसानों के सामने इस मशीन से छिड़काव का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर उपसंचालक कृषि डॉ. आनंद बड़ोनिया, सहायक कृषि यंत्री डॉ. प्रमोद मीना और अन्य किसान मौजूद थे। Also Read – Kisan News : सरकार ने इस योजना में किया बड़ा बदलाव, फसलों की MSP होती थी तय
बूम टाइप मशीन के फायदे | Kisan News
इस मशीन के उपयोग से किसान एक एकड़ भूमि पर 10 से 15 मिनट में छिड़काव कर सकते हैं। खास बात यह है कि फसल के बड़े हो जाने पर भी मशीन से छिड़काव करना आसान रहता है, क्योंकि इसके पहिए संकरे होते हैं और फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते। वर्तमान में मजदूरों की कमी और बढ़ते खर्च को देखते हुए यह मशीन किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। खासकर खरीफ के सीजन में, जब खेतों में नमी होती है, तब भी बूम टाइप मशीन से बिना किसी परेशानी के छिड़काव किया जा सकता है।
नरवाई प्रबंधन पर किसानों को जागरूक किया गया | Kisan News
25 सितंबर को सोहागपुर ग्राम में नरवाई प्रबंधन पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। उपसंचालक, किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के अधिकारियों ने किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नरवाई जलाने से मिट्टी के सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरता घटती है और जैविक खाद बनने की प्रक्रिया रुक जाती है।
किसानों को बताया गया कि नरवाई प्रबंधन के लिए पूसा डिकम्पोजर का उपयोग करें, जिससे नरवाई जलने के बजाय गल जाएगी और मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहेगी। इसके अलावा, हैप्पी सीडर या सुपर सीडर का उपयोग कर नरवाई युक्त खेतों में सीधे बुआई की जा सकती है, जिससे समय और श्रम की बचत होगी। सामान्य सीड ड्रिल का उपयोग करने के लिए रोटावेटर का भी सुझाव दिया गया। Also Read – PM-Kisan 18th Installment : किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना
निष्कर्ष
बूम टाइप मशीन और पूसा डिकम्पोजर जैसे आधुनिक उपकरण किसानों की समस्याओं का सरल और सस्ता समाधान हैं। इससे किसानों को श्रम और समय की बचत होगी और फसल की देखभाल आसान हो जाएगी। इस तरह की योजनाएं न केवल किसानों के जीवन को आसान बनाएंगी, बल्कि कृषि उत्पादकता को भी बढ़ावा देंगी।