बैतूल में शुरू हुआ ‘ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप’, वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विशेष अभियान
Forest Department – बैतूल : मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग ने ‘ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप’ की शुरुआत की है। यह अभियान 1 दिसंबर 2024 से 31 जनवरी 2025 तक चलेगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), मध्य प्रदेश भोपाल के निर्देश पर और दक्षिण बैतूल वनमंडलाधिकारी विजयानन्त्म टी.आर. के मार्गदर्शन में यह पहल शुरू की गई है।
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दिन-रात गश्त और शिकार रोकने की कार्रवाई | Forest Department
अभियान के तहत वन विभाग की क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा जंगलों और वन्यजीव विचरण वाले क्षेत्रों में सघन गश्त और सर्चिंग की जा रही है। शिकार के लिए लगाए गए फंदों और बिजली के खतरनाक तारों को हटाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। यदि कोई वन्यजीव फंदे में फंसा पाया जाता है, तो निकटतम रेस्क्यू स्क्वाड को सूचित कर तत्काल उपचार की व्यवस्था की जा रही है। Also Read – MP CM Mohan Yadav : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण
नोडल अधिकारी की तैनाती और बिजली कंपनी का सहयोग
इस अभियान की निगरानी के लिए मुलताई के उपवनमंडलाधिकारी (सा.) को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। वन्यजीव शिकार के मामलों में अपराधियों के खिलाफ विधिवत केस दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जा रही है। साथ ही, बिजली कंपनी के सहयोग से उन क्षेत्रों की जांच की जा रही है, जहां शिकार के लिए बिजली के करंट वाले तार फैलाए गए हो सकते हैं।
अभियान पर वनमंडलाधिकारी की कड़ी नजर | Forest Department
वनमंडलाधिकारी विजयानन्त्म टी.आर. नियमित रूप से अभियान की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता न किया जाए।
आमजन से अपील
वन विभाग ने आम नागरिकों से अपील की है कि यदि उन्हें अवैध शिकार या वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत विभाग को सूचित करें।
वन्यजीव सुरक्षा की दिशा में अहम कदम | Forest Department
‘ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप’ वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम है। यह न केवल जंगलों की शांति और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि अवैध शिकारियों पर भी कड़ी नजर रखेगा। इस अभियान से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष
बैतूल जिले का यह प्रयास वन्यजीव संरक्षण में एक मिसाल बन सकता है। यदि प्रशासन और जनता मिलकर सहयोग करें, तो जंगल और उसकी वन्य संपदा को सुरक्षित रखा जा सकता है। Also Read – Betul Kisan : किसानों को नहीं मिल रहा नहर का पानी