बदल जाएगी किसानों की तकदीर
Ethanol Factory in MP – मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम संभाग में इस महीने प्रस्तावित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से क्षेत्र में औद्योगिक विकास की नई उम्मीदें जगी हैं। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देशभर से 4,000 से अधिक उद्योगपति शामिल होंगे। कॉन्क्लेव से बैतूल, नर्मदापुरम, और हरदा जिलों में नए उद्योगों की स्थापना की संभावनाएं प्रबल हैं। खासतौर पर बैतूल जिले में एथेनॉल फैक्ट्री के लिए निवेश की संभावना ने किसानों को नई उम्मीद दी है।
बैतूल जिले में एथेनॉल उद्योग की संभावनाएं | Ethanol Factory in MP
बैतूल में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। कृषि विभाग के अनुसार, जिले में लगभग 22,000 हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती होती है, और 20,000 से अधिक किसान इसमें जुड़े हुए हैं।गन्ने का उपयोग:जिले में 5 शुगर फैक्ट्रियां हैं जो अधिकांश गन्ने की खपत करती हैं।हर साल लगभग 25,000 मीट्रिक टन गुड़ का उत्पादन होता है।यहां के गन्ने में शुगर की मात्रा अधिक होने से शुगर मिल और एथेनॉल फैक्ट्री की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। Also Read – MP Atithi Shikshak : गेस्ट टीचर्स पर बड़ा फैसला
एथेनॉल फैक्ट्री से होंगे ये फायदे
किसानों की आय में वृद्धि: गन्ने के बढ़ते उपयोग से किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा।
आर्थिक विकास:एथेनॉल उत्पादन से स्थानीय रोजगार और निवेश में वृद्धि होगी।
स्वच्छ ऊर्जा का प्रोत्साहन: एथेनॉल, एक पर्यावरण-अनुकूल ईंधन, पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता कम करेगा।
नर्मदापुरम जिले में भी एथेनॉल उद्योग की संभावना | Ethanol Factory in MP
नर्मदापुरम जिले में 5,000 हेक्टेयर में गन्ने की खेती हो रही है। यहां औसतन 1 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुनाफा किसान कमा रहे हैं। कृषि उप संचालक जेआर हेडऊ के अनुसार, नर्मदापुरम में गन्ना आधारित उद्योगों की संभावनाएं काफी प्रबल हैं।बनखेड़ी ब्लॉक में पहले से एक शुगर मिल सक्रिय है, जिसे हर साल लाखों टन गन्ना आसानी से मिल रहा है।यहां एथेनॉल फैक्ट्री की स्थापना से किसानों की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।
एक नजर में आंकड़े
गन्ने की खेती का क्षेत्रफल:बैतूल: 22,000 हेक्टेयरनर्मदापुरम: 5,000 हेक्टेयरगुड़ उत्पादन:बैतूल: 25,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष
रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से उम्मीदें | Ethanol Factory in MP
इस कॉन्क्लेव के जरिए गन्ना आधारित उद्योगों, खासकर एथेनॉल फैक्ट्री और शुगर मिल, के लिए निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे न केवल स्थानीय किसानों को लाभ होगा बल्कि क्षेत्र की तस्वीर भी बदल सकती है।
निष्कर्ष:
बैतूल और नर्मदापुरम जिलों में एथेनॉल उद्योग की संभावनाएं किसानों और उद्योगपतियों के लिए नई राहें खोल सकती हैं। इससे न केवल क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी, बल्कि यह मध्यप्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी बना सकता है। Also Read – Betul Tiger News : बैतूल के जंगल में दो बाघों की दस्तक, 5 गायों को बनाया अपना शिकार