किसानों को फायदा या नुकसान?
MP Kisan – मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए बोनस भुगतान का नया फॉर्मूला पेश किया है, जो धान और गेहूं उत्पादकों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। इस योजना के तहत अब बोनस उत्पादन की बजाय बोवनी के रकबे के आधार पर दिया जाएगा। आइए जानते हैं, यह योजना किसानों और सरकार दोनों के लिए कैसे असर डाल सकती है।
धान उत्पादकों को मिलेगा प्रति हेक्टेयर बोनस | MP Kisan
मध्य प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि धान उत्पादकों को प्रति क्विंटल के बजाय प्रति हेक्टेयर 2,000 रुपये का बोनस दिया जाएगा। Also Read – MP Sarkari Naukri : हजारों पदों पर भर्ती, आवेदन की पूरी जानकारी यहां पढ़ें
- अब तक 6.23 लाख किसानों से 40 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है।
- केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य ₹2,300 प्रति क्विंटल के आधार पर किसानों को ₹6,489 करोड़ का भुगतान किया है।
- राज्य सरकार ने बोनस के इस नए मॉडल को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है।
गेहूं उत्पादकों के लिए भी लागू होगा नया मॉडल
धान की तर्ज पर अब गेहूं उत्पादकों को भी प्रति हेक्टेयर बोनस दिया जाएगा।
- भाजपा के चुनावी वादे के अनुसार, किसानों से गेहूं ₹2,700 प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाना था।
- हालांकि, गेहूं के लिए प्रति हेक्टेयर बोनस की राशि अभी तय नहीं की गई है।
- गेहूं खरीदी के लिए 20 जनवरी से रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है।
सरकार को होगी बड़ी बचत | MP Kisan
यह नया फॉर्मूला सरकार के लिए वित्तीय बचत का बड़ा जरिया बन सकता है।
- प्रति हेक्टेयर धान का औसत उत्पादन 40-50 क्विंटल होता है।
- यदि सरकार प्रति क्विंटल बोनस देती, तो प्रति हेक्टेयर ₹32,000-40,000 का खर्च आता।
- जबकि प्रति हेक्टेयर बोनस देने से सरकार को ₹30,000-35,000 की बचत होगी। Also Read – MPPSC Result : लवकेश बने आबकारी उप निरीक्षक
मिलेट्स किसानों के लिए भी राहत
मिलेट्स (जैसे कोदो-कुटकी) उत्पादकों को भी प्रति हेक्टेयर बोनस का लाभ मिलेगा।
- रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना के तहत सरकार ने मिलेट्स किसानों को ₹3,900 प्रति हेक्टेयर बोनस देने का निर्णय लिया है।
- बिना मिलेट्स खरीदी के ही सरकार किसानों को ₹40 करोड़ का भुगतान करेगी।
ड्रोन तकनीक से सर्वे | MP Kisan
सरकार ने धान के खेतों का ड्रोन सर्वे कराने का निर्णय लिया है। यह कदम खेतों के सटीक रकबे और उत्पादन का आकलन करने के लिए उठाया गया है।
किसानों को फायदा या नुकसान?
इस नए फॉर्मूले पर किसानों और विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं:
- फायदा:
- छोटे किसानों को भी बोनस का लाभ मिलेगा।
- किसानों को उनके खेत के रकबे के अनुसार सीधा भुगतान होगा।
- नुकसान:
- उच्च उत्पादकता वाले किसानों को प्रति क्विंटल बोनस न मिलने से नुकसान हो सकता है।
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन खत्म होने से बेहतर उपज की प्रेरणा कम हो सकती है। Also Read – MP Visiting Scholars : अतिथि विद्वानों का पुनःआवंटन