महाकुंभ 2025 : श्रद्धा या सोशल मीडिया का मंच ?
Reel in Maha Kumbh – 144 साल बाद आयोजित हो रहे ऐतिहासिक महाकुंभ का धार्मिक महत्व दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने आ रहे हैं। लेकिन इस पवित्र आयोजन में सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव एक नई चुनौती बनकर उभरा है। रोजाना यहां से हजारों रील और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिससे महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य कहीं पीछे छूटता दिख रहा है।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जताई आपत्ति | Reel in Maha Kumbh
बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में इस मुद्दे पर अपनी नाराज़गी जाहिर की। उन्होंने कहा, “महाकुंभ रील और वायरल वीडियो का विषय नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और श्रद्धा का प्रतीक है। सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ ने लोगों को महाकुंभ के वास्तविक उद्देश्य से भटका दिया है।” Also Read – Fire in Mahakumbh Fair : गीता प्रेस के 180 कॉटेज जलकर खाक, समय रहते आग पर पाया गया काबू
सोशल मीडिया की प्रसिद्धि बनी समस्या
इंदौर की मोनालिसा, जो महाकुंभ में रुद्राक्ष और मोतियों की माला बेचने आई थीं, अचानक सोशल मीडिया सेंसेशन बन गईं। उनकी सुंदरता के चर्चे हर तरफ होने लगे, लेकिन यह प्रसिद्धि उनके लिए परेशानी का कारण बन गई।
- मोनालिसा की कहानी: भारी भीड़ के कारण वह अपने काम पर ध्यान नहीं दे पा रही थीं। लोगों की उत्सुकता ने उनका मेला अनुभव कष्टप्रद बना दिया, जिससे उन्हें महाकुंभ से वापस लौटना पड़ा।
भोपाल की ‘सुंदर साध्वी’ हर्षा रिछारिया का विवाद | Reel in Maha Kumbh
भोपाल की हर्षा रिछारिया, जिन्हें सोशल मीडिया पर ‘सुंदर साध्वी’ का टैग मिला, भी महाकुंभ में चर्चा का केंद्र बनीं। उनकी सुंदरता को लेकर जहां एक तरफ तारीफें हुईं, वहीं दूसरी तरफ संतों के अपमान के आरोपों ने उन्हें विवादों में घसीट लिया। Also Read – Maha Kumbh 2025 : वायरल सेंसेशन बनीं ‘खूबसूरत बंजारन’ मोनालिसा
- वीडियो विवाद: हर्षा पर संतों के अपमान का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। इस विवाद से परेशान होकर उन्होंने महाकुंभ छोड़ने की बात कही।
महाकुंभ का उद्देश्य और सोशल मीडिया का प्रभाव
महाकुंभ का उद्देश्य आध्यात्मिक शांति, आत्मचिंतन, और धार्मिक एकता है। लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ ने इस पवित्र आयोजन को एक ट्रेंडिंग टॉपिक में बदल दिया है।
- धार्मिक आयोजनों का व्यावसायीकरण: रील और वीडियो बनाने के चक्कर में श्रद्धालु और साधु-संतों को असुविधा हो रही है।
- पंडित धीरेंद्र शास्त्री का सुझाव: उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को महाकुंभ के वास्तविक उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि सोशल मीडिया पर। Also Read – Mahakumbh 2025 : IIT बाबा अभय सिंह और साध्वी हर्षा रिछारिया के बीच कनेक्शन ने खींचा ध्यान