BJP Mandal Adhyaksh : बीजेपी मंडल अध्यक्ष चुनाव विवाद

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भीमपुर और झल्लार मंडल पर टिकी निगाहें, कई नियुक्तियां रद्द

BJP Mandal Adhyaksh – मध्यप्रदेश में बीजेपी मंडल अध्यक्ष चुनावों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पार्टी ने 18 मंडलों के चुनाव रद्द कर दिए हैं, जिनमें गड़बड़ी और उम्र सीमा के उल्लंघन की शिकायतें सामने आई हैं। इस स्थिति ने पार्टी की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

BJP Mandal Adhyaksh: BJP Mandal President election controversy
BJP Mandal Adhyaksh: BJP Mandal President election controversy

बैतूल के मंडल विवाद पर फोकस | BJP Mandal Adhyaksh

बैतूल जिले के भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र के भीमपुर और झल्लार मंडल अध्यक्षों को लेकर विवाद जारी है।भीमपुर मंडल अध्यक्ष: अनिल उईके की उम्र 45 वर्ष से अधिक बताई जा रही है, जो पार्टी के तय मानदंडों का उल्लंघन है।झल्लार मंडल अध्यक्ष: रायशुमारी में नाम शामिल न होने और उम्र 48 वर्ष होने की शिकायतें हैं।स्थानीय कार्यकर्ताओं और बूथ अध्यक्षों ने रायशुमारी प्रक्रिया को केवल दिखावा बताया है। लगातार विरोध के बाद कार्यकर्ताओं को पार्टी के फैसले का इंतजार है। Also Read – Betul Crime News : कोतवाली पुलिस ने सुलझाया अंधे कत्ल का मामला

शिकायतें और विवाद का दायरा

प्रदेशभर में मंडल अध्यक्ष चुनावों को लेकर 100 से अधिक शिकायतें चुनाव समिति तक पहुंची हैं। इनमें प्रमुख मुद्दे हैं:उम्र सीमा का उल्लंघन: पार्टी ने मंडल अध्यक्ष के लिए 45 वर्ष से कम उम्र का मानदंड तय किया था, लेकिन कई मामलों में इसे नजरअंदाज किया गया।चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी: रायशुमारी के नियमों का पालन न करने के आरोप लगे हैं।विधायकों का हस्तक्षेप: चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप के आरोपों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

कार्यकर्ताओं का रुख और संभावित कदम | BJP Mandal Adhyaksh

यदि संगठन समय पर निष्पक्ष निर्णय नहीं लेता, तो कार्यकर्ताओं का बड़ा दल भोपाल स्थित भाजपा कार्यालय पहुंचकर जवाब तलब कर सकता है।कार्यकर्ता पार्टी की अनुशासनप्रियता पर भरोसा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि देर से ही सही, लेकिन न्यायिक फैसला लिया जाएगा।

प्रदेश स्तर पर विवाद का असर

प्रदेश के 1300 मंडलों में 15 दिसंबर तक अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधियों का चुनाव होना था।सिवनी जिले में सबसे अधिक गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं।पार्टी ने 18 मंडलों के चुनाव रद्द कर दिए हैं, जिससे संगठन के भीतर पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं। Also Read – MP High Court का बड़ा फैसला : निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का निर्देश

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