मुख्य आरोपी को 10 साल की सजा
Bank Embezzlement Case – मुलताई : बैंक ऑफ महाराष्ट्र की जौलखेड़ा शाखा में हुए गबन के चर्चित मामले में मुलताई अपर सत्र न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया। न्यायालय ने गबन के मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम को 10 साल की सजा और 80 लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया। वहीं, सह-आरोपियों, जिनमें पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा, बैंक कर्मी धनराज और लखन शामिल हैं, को 7-7 साल की सजा और 7-7 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
गबन का मामला | Bank Embezzlement Case
यह मामला साल 2013 का है, जब जौलखेड़ा ग्राम पंचायत स्थित बैंक ऑफ महाराष्ट्र की शाखा में गबन का मामला सामने आया।मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम ने बैंक अधिकारियों के पासवर्ड का उपयोग कर गबन को अंजाम दिया।जांच के दौरान पता चला कि इस गबन में बैंक के अन्य कर्मचारी भी शामिल थे। Also Read – MP Board Exam : एमपी बोर्ड परीक्षा में बड़ा बदलाव
मुख्य आरोपी को कठोर सजा
न्यायालय ने गबन के मास्टरमाइंड अभिषेक रत्नम को 10 साल की सजा सुनाई और 80 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।अभिषेक ने बैंक की आंतरिक प्रणाली का दुरुपयोग करते हुए बड़ी रकम का गबन किया था।यह सजा बैंकिंग क्षेत्र में अनुशासन और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
सह-आरोपियों को भी सजा | Bank Embezzlement Case
न्यायालय ने सह-आरोपियों को भी दोषी ठहराया।विनय ओझा (पूर्व क्रिकेटर नमन ओझा के पिता), धनराज, और लखन को 7-7 साल की सजा और 7-7 लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया गया।प्रकरण की जांच के दौरान शाखा में पदस्थ कैशियर दीनानाथ राठौर की मृत्यु हो गई थी।
मामले की पृष्ठभूमि
इस गबन की जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।गबन में शामिल आरोपियों ने बैंक की आंतरिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग किया, जिससे बैंक को करोड़ों का नुकसान हुआ।उस समय, नमन ओझा के पिता विनय ओझा भी इसी शाखा में कार्यरत थे।
न्यायालय का संदेश | Bank Embezzlement Case
इस फैसले से न्यायालय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वित्तीय संस्थानों में धोखाधड़ी करने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी। यह मामला बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है। Also Read – MP Holiday Calendar : एमपी सरकार ने जारी किया 2025 का छुट्टियों का कैलेंडर