इंदौर हाईकोर्ट ने हटाया न्यूनतम वेतन पर स्टे, 8 लाख श्रमिकों को होगा फायदा
MP Shramik – मध्य प्रदेश के संगठित और असंगठित क्षेत्र के करीब 8 लाख श्रमिकों को 10 साल के लंबे इंतजार के बाद संशोधित न्यूनतम वेतन का लाभ मिलने वाला है। इंदौर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मंगलवार को इस वेतन संशोधन पर लगे स्टे को हटाने का फैसला सुनाया।
संशोधित न्यूनतम वेतन का रास्ता साफ | MP Shramik
हाईकोर्ट ने इस मामले में माना कि न्यूनतम वेतन का संशोधन सही प्रक्रिया के तहत किया गया है। यह वेतन संशोधन आखिरी बार 2014 में अपडेट किया गया था। हालांकि, इसे 1 अप्रैल 2024 से लागू किया जाना था, लेकिन लागू होते ही इसे रोक दिया गया। अब कोर्ट के आदेश के बाद यह वेतन वृद्धि प्रभावी होगी। Also Read – Cement Ke Bhav : घर बनाना हुआ आसान, सीमेंट की कीमतें 5 साल के सबसे निचले स्तर पर
श्रमिकों को अब कितना वेतन मिलेगा?
संशोधित न्यूनतम वेतन के अनुसार श्रमिकों को हर महीने 1625 से 2434 रुपये की वृद्धि का लाभ मिलेगा। नई वेतन संरचना निम्न प्रकार है:
श्रेणी | वर्तमान वेतन (रुपये) | मासिक वेतन में वृद्धि (रुपये) | अब मिलेगा (रुपये) |
अकुशल | 10,175 | 1,625 | 11,800 |
अर्द्धकुशल | 11,032 | 1,764 | 12,796 |
कुशल | 12,410 | 2,109 | 14,519 |
उच्च कुशल | 12,410 | 2,434 | 16,144 |
हाईकोर्ट का निर्णय और प्रभाव | MP Shramik
न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की डबल बेंच ने वेतन संशोधन पर लगे स्टे को हटाते हुए इसे उचित और वैध ठहराया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उद्योग संगठन भविष्य में किसी भी संशोधन के दौरान न्यूनतम वेतन में नई श्रेणियों को जोड़ सकते हैं।इससे पहले, पीथमपुर औद्योगिक संगठन और मध्य प्रदेश टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने इस वेतन वृद्धि के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।
कमलनाथ सरकार की पहल
2019 में कमलनाथ सरकार ने न्यूनतम वेतन में 25% वृद्धि की सिफारिश की थी। इसे अप्रैल 2019 से लागू किया जाना था, लेकिन यह अप्रैल 2024 में लागू हुआ। सरकार ने मई 2024 में श्रमिकों को संशोधित वेतन का भुगतान किया। हालांकि, उद्योग संगठनों ने इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिससे कंपनियों ने बढ़े हुए वेतन की वसूली कर ली।
श्रमिकों को न्याय और राहत | MP Shramik
10 साल के लंबे संघर्ष के बाद श्रमिकों को उनका हक मिलने का रास्ता साफ हुआ है। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) ने इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में दखल देकर श्रमिकों के हक की लड़ाई लड़ी। अब यह निर्णय श्रमिक वर्ग के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है।
निष्कर्ष
संशोधित न्यूनतम वेतन न केवल श्रमिकों के जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि उनके आर्थिक सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हाईकोर्ट का यह फैसला श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। Also Read – Gold Mining in MP : मध्य प्रदेश में सोना उत्खनन की तैयारी