खत्म कर दी गई निजी क्षेत्र की भागीदारी
Kisan News – केंद्र सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से चल रही प्रमुख योजना पीएम-आशा में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब सरकार ने इस योजना के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली ‘निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना’ (PPSS) को समाप्त कर दिया है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस उप-योजना को बंद करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि इसमें निजी कंपनियों की भागीदारी अपेक्षित नहीं रही।
योजना में बदलाव का कारण | Kisan News
कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि साल 2018 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-आशा) के तहत PPSS को पायलट आधार पर शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य था कि निजी कंपनियां अनाज खरीद में अधिक भागीदारी करें, लेकिन कंपनियों को 15% पारिश्रमिक की सीमा अपर्याप्त लगी, जिसके कारण उनकी सहभागिता में कमी आई। इसी वजह से इस योजना को अब बंद कर दिया गया है।Also Read – PM-Kisan 18th Installment : किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना
जीएम फसलों पर निर्णय और किसानों की समस्याएं
कृषि मंत्री ने घोषणा की कि वे अक्टूबर से हर मंगलवार देशभर के किसानों और उनके संगठनों से मुलाकात करेंगे, उनकी समस्याएं सुनेंगे और समाधान करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने स्पष्ट किया कि देश में जीएम फसलों (जिनेटिकली मॉडिफाइड) पर कोई निर्णय तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कि इस पर राष्ट्रीय स्तर पर सहमति न बन जाए, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है।
खरीफ फसलों पर मौसम का प्रभाव | Kisan News
देश के कई हिस्सों में देर से हुई बारिश के कारण खरीफ फसलों पर असर पड़ा है, खासकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में। हालांकि, कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया कि इन चुनौतियों के बावजूद, देश का चावल उत्पादन पिछले साल की तुलना में बेहतर रहेगा। चावल की बुवाई अच्छी हुई है, और 2023-24 के लिए खरीफ चावल का उत्पादन लगभग 114.36 मिलियन टन अनुमानित है। कुल मिलाकर, देशभर में 41 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर चावल की बुवाई हुई है, जो पिछले साल से अधिक है।
इस प्रकार, सरकार ने किसानों की भलाई के लिए योजनाओं में आवश्यक बदलाव किए हैं और उनके मुद्दों को सुनने के लिए एक सक्रिय कदम उठाया है। जीएम फसलों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राष्ट्रीय सहमति बनने तक कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा, जिससे सरकार की किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। Also Read – MP Kisan : मध्य प्रदेश के किसानों का बड़ा ऐलान: 1 अक्टूबर को सभी हाईवे पर चक्काजाम