Violation of tribal community’s rights to private land : वन अधिकारियों पर जनजातीय समुदाय की निजी भूमि के अधिकारों का उल्लंघन

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न्याय और मुआवजे की मांग

Violation of tribal community’s rights to private land – बैतूल: मध्य प्रदेश वन विभाग के खिलाफ जनजातीय समुदाय और नागरिक संगठनों ने अन्याय और अत्याचार के विरोध में पुतला दहन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। यह विरोध संविधान के उल्लंघन, कानूनी प्रावधानों की अवहेलना, और न्यायालय के आदेशों की अनदेखी के खिलाफ आयोजित किया गया।

Violation of tribal community's rights to private land: Forest officials accused of violation of tribal community's rights to private land
Violation of tribal community’s rights to private land: Forest officials accused of violation of tribal community’s rights to private land

संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन:

संविधान और कानून का सार्वजनिक अपमान:

26 जनवरी 1950 से लागू भारतीय संविधान के बाद संसद और विधानसभा द्वारा बनाए गए कानूनों का वन विभाग द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया गया है। Also Read – Betul Crime News : बैतूल में सनसनीखेज मामला, शराब पार्टी के बाद युवक की बेरहमी से हत्या

न्यायालय के आदेशों का निरंतर अपमान और अवमानना की गई है।

मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 का उल्लंघन:

धारा 237(1), 234, और 108 के तहत आरक्षित भूमि को वन विभाग ने अवैध रूप से वनखण्डों और वर्किंग प्लान में दर्ज कर लिया है।

कलेक्टर बैतूल से विधिवत आवंटन के बिना ही 482 वनखण्डों में 71,684 हेक्टेयर और 259 वनखण्डों में 7,565 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा कर लिया गया।

वन अधिकार अधिनियम 2006 का उल्लंघन:

आदिवासी विकास आयुक्त के आदेश (दिनांक 16 अप्रैल 2015) के बावजूद सामुदायिक वन अधिकार नहीं सौंपे गए।

भूमिहीनों को भूमि आवंटन की प्रक्रिया को बाधित किया गया।

जनजातीय समुदाय के अधिकारों का हनन:

निजी भूमि पर जबरन कब्जा: वन विभाग ने जनजातीय किसानों की निजी भूमि को वनखण्ड में शामिल कर जबरन कब्जा किया।

आर्थिक और सामाजिक उत्पीड़न: इस अवैध कब्जे के कारण समुदाय को भूमि उपयोग से वंचित किया गया, जिससे आर्थिक हानि और सामाजिक अन्याय हुआ।

ऐट्रासिटी अधिनियम के तहत अपराध: जनजातीय समुदाय पर अत्याचार और उनके अधिकारों के हनन को गंभीर आपराधिक कृत्य के रूप में देखा जा रहा है।

प्रमुख मांगें:
अवैध कब्जों की जांच:

वन विभाग के अवैध कब्जों की तुरंत जांच करवाई जाए।

खसरा पंजी के कालम 12 में अतिक्रमणकारी के रूप में प्रविष्टि की जाए।

अधिकारों की बहाली:

जनजातीय समुदाय को उनकी भूमि के अधिकार वापस सौंपे जाएं।

सामुदायिक वन अधिकारों की बहाली की जाए।

कानूनी कार्रवाई:

वन अधिकारियों के खिलाफ ऐट्रासिटी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए जाएं।

अदालत की अवमानना के मामलों में उचित कानूनी कार्रवाई हो। Also Read – Ranipur car accident : चलती कार में अचानक लगी आग, सवारों ने कूदकर बचाई जान

संदीप कुमार धुर्वे जिला पंचायत सदस्य(जिला अध्यक्ष जयस पार्टी )

आजादी के 75 वर्ष बाद भी आज आदिवासियों के कानूनों को लेकर राज्य सरकार के आदेशों का वन विभाग के द्वारा पालन नहीं किया जा रहा है, इसी कारण से हमने वन विभाग का पुतला दहन किया है। फारेस्ट के उच्च अधिकारी हमसे बात करने के लिए तैयार नहीं हैं कोई आश्वासन भी नहीं दिया जा रहा है।

जयस संरक्षक बैतूल राजा धुर्वे

विधानसभा में सवाल उठाया गया था की वन विभाग ने कितनी निजी भूमियों पर कब्ज़ा कर रखा है, बैतूल जिले के अंदर लगभग 32 हजार हेक्टेयर भूमि जो की निस्तार की भूमि है और आदिवासियों के उपयोग के लिए है उस पर भी फारेस्ट ने कब्ज़ा किया हुआ है। इसके अलावा आदिवासियों की 60 से 70 हेक्टेयर निजि भूमि भी उनके कब्जे में है ये उन्होंने विधानसभा में जवाब भी दिया है।

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