Mahila Naga Sadhu – प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है, जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के साथ लाखों नागा साधु पहुंचे हैं। नागा साधुओं के बारे में तो हम अक्सर सुनते हैं, लेकिन महिला नागा साधुओं की जीवनशैली और परंपराओं के बारे में बहुत कम जानकारी होती है। आइए जानते हैं महिला नागा साधुओं से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
महिला नागा साधुओं के वस्त्र धारण के नियम | Mahila Naga Sadhu
कपड़ों का रंग और प्रकार: महिला नागा साधु केवल एक कपड़ा पहन सकती हैं, जिसका रंग गुरुआ (भगवा) होता है।
बिना सिले कपड़े: ये कपड़े सिले हुए नहीं होते, इन्हें “गंती” कहा जाता है। यह साधना और त्याग का प्रतीक है।
तिलक अनिवार्य: महिला नागा साधुओं को अपने माथे पर विशेष तिलक लगाना होता है, जो उनकी आध्यात्मिक पहचान को दर्शाता है। Also Read – Viral Video : इस इंस्टाग्राम रील ने रचा इतिहास, 55 करोड़ व्यूज के साथ बना वर्ल्ड रिकॉर्ड
नागा साधु बनने की प्रक्रिया
ब्रह्मचर्य का पालन: महिला को नागा साधु बनने से पहले 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है।
पिंडदान: नागा साधु बनने से पहले महिला को अपना पिंडदान करना होता है, जो इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने सांसारिक जीवन को त्याग दिया है।
दीक्षा और स्वीकृति: नागा साधु बनने की अनुमति अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा दी जाती है।
महिला नागा साधुओं का दैनिक जीवन | Mahila Naga Sadhu
नदी में स्नान: महिला नागा साधु भोर में नदी में स्नान करती हैं, जो उनकी साधना की शुरुआत का हिस्सा है।
साधना और जाप: दिनभर भगवान शिव और दत्तात्रेय का जाप करती हैं। सुबह शिव आराधना और शाम को भगवान दत्तात्रेय की पूजा उनकी दिनचर्या का मुख्य हिस्सा है। Also Read – Magarmach Aur Zebra Ka Video : मगरमच्छ और ज़ेब्रा की रोमांचक जंग
ईश्वर को समर्पण का प्रतीक
महिला नागा साधु का जीवन पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित होता है। वे सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर कठोर साधना और त्याग का जीवन जीती हैं।
महिला नागा साधु: शक्ति और आस्था का प्रतीक | Mahila Naga Sadhu
महिला नागा साधु हमारी संस्कृति और परंपरा का ऐसा हिस्सा हैं, जो ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और साधना का अनोखा उदाहरण पेश करती हैं। उनका जीवन त्याग, तपस्या और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। Also Read – Saanp Ka Video : सांपों का राजकुमार, वायरल वीडियो में दिखा सबसे खूबसूरत ‘ब्लू पिट वाइपर’