राजस्थान के मॉडल पर विचार
MP News – मध्य प्रदेश में जिलों और संभागों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। अगर राज्य सरकार राजस्थान के मॉडल को अपनाती है, तो जिलों और संभागों की संख्या कम हो सकती है। वहीं, जरूरत के आधार पर नए जिलों, ब्लॉकों और तहसीलों का भी गठन किया जा सकता है।
राजस्थान मॉडल: क्या है खास? | MP News
राजस्थान, जो भारत का सबसे बड़ा राज्य है, में पहले 50 जिले और 10 संभाग थे। भजनलाल सरकार ने प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए 9 जिलों और 3 संभागों को कम कर दिया था। अब, मध्य प्रदेश में भी इसी तरह के बदलाव की संभावना है। Also Read – MP News : मध्य प्रदेश में प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी
मध्य प्रदेश में जिलों का मौजूदा परिदृश्य
मध्य प्रदेश में वर्तमान में राजस्थान से 5 जिले ज्यादा हैं, फिर भी नए जिलों की मांग लगातार बढ़ रही है। बड़े जिलों, जैसे छिंदवाड़ा और बैतूल, का दायरा घटाने और छोटे जिलों, जैसे निवाड़ी, को मर्ज करने पर विचार किया जा रहा है।
पुनर्गठन आयोग की भूमिका | MP News
राज्य सरकार ने प्रशासनिक इकाइयों के पुनर्गठन के लिए एक आयोग का गठन किया है। यह आयोग जिलों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण कर रहा है और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए सुझाव ले रहा है।
पहला चरण:आयोग ने सुझाव लेने और भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की है। अब तक 40% कार्रवाई पूरी हो चुकी है Also Read – MP Cabinet Meeting : साल 2025 में मध्यप्रदेश कैबिनेट की पहली बैठक
जिलों तक पहुंच:आयोग के सदस्य 25 जिलों, जैसे भोपाल, सीहोर, विदिशा, सागर, राजगढ़, दमोह, छतरपुर, पन्ना, खरगोन, ग्वालियर, और भिंड, तक पहुंच चुके हैं।
सुझाव और जनभागीदारी | MP News
आयोग ने आम जनता, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं। सुझावों को ध्यान में रखते हुए नए जिलों और तहसीलों के गठन पर विचार किया जा रहा है।
पुनर्गठन से संभावित लाभ
- प्रशासनिक दक्षता: छोटे जिलों के गठन से प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी।
- सुविधा में सुधार: लोगों को अपने जिलों और तहसीलों तक पहुंचने में आसानी होगी।
- विकास की गति: नए जिलों और ब्लॉकों के गठन से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। Also Read – MP Sarkari Karmchari : मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के लिए सख्त निर्देश