40 साल बाद खत्म हुआ इंतजार
Union Carbide Waste – भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद, जहरीले कचरे के 12 कंटेनरों को सुरक्षित तरीके से पीथमपुर भेजा गया। इस ऐतिहासिक ऑपरेशन में 114 घंटे लगे, जिसमें वीवीआईपी सुरक्षा और विशेषज्ञों की टीम शामिल थी। बुधवार रात 9 बजे 337 मीट्रिक टन कचरे को 12 ट्रकों में लादकर रवाना किया गया, जो गुरुवार सुबह 4:17 बजे पीथमपुर पहुंचा।
कचरे के विरोध में आक्रोश | Union Carbide Waste
इस कचरे को जलाने का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। सुरक्षा के लिए 300 से अधिक जवान तैनात किए गए हैं। विरोध स्वरूप आज रैली निकाली जाएगी और कल शहर बंद का आह्वान किया गया है। Also Read –
सुरक्षा और प्रबंधन
कचरे को हटाने के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। पुलिस फोर्स ने ट्रैफिक बाधित न हो, इसके लिए हर चौराहे पर व्यवस्था संभाली। यह दृश्य किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह लग रहा था। फैक्ट्री के आसपास के एक किलोमीटर क्षेत्र को सील कर दिया गया था, और स्थानीय निवासियों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया।
100 विशेषज्ञ और 1000 लोगों की टीम | Union Carbide Waste
इस ऑपरेशन में 100 विशेषज्ञों सहित 1000 लोगों की टीम ने भाग लिया। इसमें प्रशासन, गैस राहत विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सुरक्षा एजेंसियां शामिल थीं। कचरे को पीथमपुर के तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में जलाया जाएगा और राख का ट्रीटमेंट किया जाएगा। Also Read –
126 करोड़ की लागत
कचरे को नष्ट करने में कुल 126 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रति किलो कचरे की लागत 3750 रुपये है। 2012 में इसे जर्मनी में नष्ट करने का प्रस्ताव आया था, लेकिन अधिक खर्च के कारण इसे ठुकरा दिया गया।
सुकून भरा पल | Union Carbide Waste
1984 की वो रात, जब भोपाल की हवा में जहर घुल गया था, आज 2025 की यह रात दिल को सुकून दे रही है। जहरीले कचरे की विदाई ने शहर को एक नई उम्मीद दी है। हालांकि, गैस त्रासदी के निशान कभी नहीं मिटाए जा सकेंगे। तीन पीढ़ियां इस दर्द को झेल चुकी हैं।
नई शुरुआत की उम्मीद
अब समय है कि यूनियन कार्बाइड की खाली जमीन पर ऐसा विकास किया जाए, जो शहर के घावों को भर सके और नई पीढ़ियों के लिए आशा का प्रतीक बने।यह ऑपरेशन न केवल भोपाल के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पर्यावरण और मानव जीवन को सुरक्षित बनाने की दिशा में उठाया गया है। Also Read –