DAP Price Hike : नए साल में खेती हो सकती है महंगी

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डीएपी खाद की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका

DAP Price Hike : खेती के लिए आवश्यक डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की कीमत नए साल में बढ़ सकती है। फिलहाल, 50 किलोग्राम का एक बैग डीएपी किसानों को ₹1350 में मिलता है, लेकिन इसमें ₹200 तक की वृद्धि होने की संभावना है। इसका मुख्य कारण डीएपी उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले फास्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतों में 70% तक की बढ़ोतरी है।

DAP Price Hike: Farming may become expensive in the new year
DAP Price Hike: Farming may become expensive in the new year

सरकार की सब्सिडी योजना पर संकट | DAP Price Hike

केंद्र सरकार वर्तमान में डीएपी पर ₹3500 प्रति टन की विशेष सब्सिडी देती है, जो किसानों को सस्ती दर पर यह खाद उपलब्ध कराने में मदद करती है। हालांकि, यह सब्सिडी 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है, और अगर इसे आगे नहीं बढ़ाया गया, तो डीएपी की कीमतों में वृद्धि तय है। Also Read – Cobra Ka Video : दीवार में छिपा मिला नागराज का पूरा परिवार

पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना

सरकार ने 2010 से पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना शुरू की है, जिसके तहत फॉस्फेट और पोटाश युक्त उर्वरकों पर वार्षिक आधार पर सब्सिडी दी जाती है।

इस योजना के तहत कंपनियां बाजार के हिसाब से उर्वरकों का उत्पादन और आयात कर सकती हैं।

डीएपी पर NBS के अलावा विशेष सब्सिडी भी दी जाती है, ताकि किसानों को यह खाद सस्ती दर पर उपलब्ध हो सके।

रबी सीजन के लिए सब्सिडी में मामूली वृद्धि | DAP Price Hike

रबी (2024-25) सीजन के लिए डीएपी पर प्रति टन सब्सिडी ₹21,676 से बढ़ाकर ₹21,911 कर दी गई है। लेकिन अगर विशेष सब्सिडी जारी नहीं रहती, तो इसका बोझ किसानों के साथ-साथ उद्योग जगत पर भी पड़ेगा।

वैश्विक बाजार और आयात लागत का असर

वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत $630 प्रति टन है।

रुपये के कमजोर होने से आयात लागत में ₹1200 प्रति टन की वृद्धि हुई है।

अगर सब्सिडी बंद हो जाती है, तो प्रति टन लागत ₹4700 तक बढ़ सकती है, जिससे प्रति बैग डीएपी ₹200 तक महंगा हो सकता है।

किसानों पर बढ़ेगा आर्थिक दबाव | DAP Price Hike

दो साल पहले डीएपी का एक बैग ₹1200 में मिलता था, जो अब ₹1350 का है।

देश में डीएपी की 93 लाख टन मांग है, जिसमें से 90% आयात के जरिए पूरी होती है।

वैश्विक कीमतों में वृद्धि और सब्सिडी में कटौती से किसानों की लागत बढ़ेगी, जिससे खेती महंगी हो सकती है।

सरकार और उद्योगों के लिए चुनौती

यदि सब्सिडी समाप्त होती है, तो इसका सीधा असर किसानों और कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा। उद्योगों को भी आयात लागत का बोझ उठाना पड़ेगा, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। Also Read – MP Karmchari : मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था में बड़ा बदलाव

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