नए जिलों की मांग तेज
मध्यप्रदेश में संभागों, जिलों और तहसीलों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। राज्य सरकार द्वारा गठित परिसीमन आयोग इस दिशा में कार्यरत है। कई जिलों और तहसीलों के पुनर्गठन के लिए प्रस्ताव आयोग को सौंपे जा चुके हैं। इसके साथ ही प्रदेश के बड़े जिलों को विभाजित कर नए जिले बनाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। शिवपुरी जिला इनमें प्रमुख है, जहां पिछोर और खनियाधाना को अलग जिले के रूप में स्थापित करने की मांग की जा रही है।
पिछोर को जिला बनाने की पुरानी मांग | MP New District
शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा को जिला बनाने की मांग 2003 से की जा रही है। यह मांग करीब दो दशक पुरानी है। खास बात यह है कि इस दौरान राज्य में अधिकांश समय सत्ता में रही बीजेपी के कई नेताओं ने पिछोर को जिला बनाने का समर्थन किया है। Also Read – MP News : मध्य प्रदेश में इन तीन जिलों का नक्शा बदलेगा
पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से पिछोर को जिला बनाने की घोषणा की थी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी चुनावी सभाओं में इस मांग पर सहमति जताई थी। हालांकि, अब तक पिछोर को जिला घोषित नहीं किया गया है।
खनियाधाना को भी चाहिए जिला का दर्जा
पिछोर के साथ खनियाधाना को भी जिला बनाने की मांग उठ रही है। खनियाधाना के नागरिकों का कहना है कि जिला मुख्यालय शिवपुरी से उनकी दूरी 100 किलोमीटर है, जिससे दैनिक कार्यों के लिए यात्रा करना बेहद कठिन हो जाता है। कई बार काम अधूरा रहने पर लोगों को रात रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड पर गुजारनी पड़ती है।
खनियाधाना को जिला बनाने के लिए “जिला बनाओ संघर्ष समिति” सक्रिय है। हाल ही में टेकरी सरकार मंदिर परिसर में एक विशाल बैठक आयोजित की गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इसके बाद आंदोलन और तेज हो गया।
खनियाधाना शिवपुरी जिले की सबसे बड़ी तहसील, जनपद पंचायत, और सबसे अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है। इसे जिला बनाने के लिए स्थानीय लोग व्यापक अभियान चला रहे हैं। हाल ही में आयोजित मैराथन दौड़ में 100 से अधिक युवाओं ने हिस्सा लिया। ये सभी खनियाधाना को जिला बनाने की मांग वाली टी-शर्ट पहनकर दौड़े।
शिवपुरी जिले की स्थिति | MP New District
पंचायतें: 614
गांव: 1,459
राजस्व गांव: 1,409
निर्जन गांव: 133
वन गांव: 15
क्षेत्रफल: 10,278 वर्ग किमी
जनसंख्या: 17,25,818 (2011)
यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवपुरी जिले के विभाजन की ये मांगें सरकार के फैसलों में कब और कैसे शामिल होती हैं। Also Read – MP Shikshak Bharti : एमपी में शिक्षकों और सरकारी पदों पर बंपर भर्तियां