जानिए क्यों 50 रुपए किलो में खरीद रहे हैं ये देश
Cow Dung Export – भारत में गाय के गोबर का उपयोग न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका कृषि और पर्यावरणीय उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। गोबर के लाभों को अब पूरी दुनिया समझने लगी है, और इसके निर्यात में तेजी आई है। खासकर अरब देशों और कुवैत जैसे देशों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे भारत से गोबर का निर्यात भी तेजी से बढ़ा है।
गाय के गोबर का निर्यात बढ़ने की वजह | Cow Dung Export
हाल के वर्षों में गाय के गोबर का निर्यात बढ़ने का मुख्य कारण इसके कृषि उपयोग हैं। अरब देशों और कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि गाय के गोबर को पाउडर के रूप में खजूर की फसल में उपयोग करने से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि फल का आकार भी बड़ा होता है। यही वजह है कि इन देशों ने भारत से गोबर का आयात करना शुरू किया है। Also Read – MP High Court का बड़ा फैसला : निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का निर्देश
कुवैत और अरब देशों में गोबर का उपयोग
कुवैत और अन्य अरब देशों में खजूर की खेती एक महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि है। इन देशों ने अपनी खजूर की फसल को बेहतर बनाने के लिए भारत से गोबर आयात करना शुरू किया। हाल ही में, कुवैत ने भारत से 192 मीट्रिक टन गोबर का ऑर्डर दिया था।
गोबर की कीमत | Cow Dung Export
गोबर की बढ़ती मांग और इसके उपयोग के कारण, भारत से निर्यात होने वाले गोबर की कीमत भी बढ़ी है। वर्तमान में, भारत से गोबर की कीमत 30 से 50 रुपये प्रति किलो है। जैसे-जैसे इसकी मांग और उपयोग बढ़ेगा, इसकी कीमत में और वृद्धि हो सकती है।
भारत में गोबर का उत्पादन
भारत में मवेशियों की संख्या बहुत बड़ी है, और हर दिन लगभग 30 लाख टन गोबर का उत्पादन होता है। भारत में गोबर का उपयोग कृषि में, बायोगैस उत्पादन में, और ईको-फ्रेंडली उत्पादों के निर्माण में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसके अलावा, गोबर के उपले भी ईंधन के रूप में इस्तेमाल होते हैं। Also Read – Best Cow Breed : गाय की इन बहतर नस्लों का पालन करके हो सकते हैं मालामाल