MP High Court – मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए निर्देश दिया है कि अगले शैक्षणिक वर्ष से प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई जाए। यह कदम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए सीटें आरक्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
हाईकोर्ट का निर्देश | MP High Court
मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को एक वर्ष का समय दिया है। Also Read – MP Svaamitv Yojana : बैतूल में 27 दिसंबर को स्वामित्व योजना के तहत वृहद हितलाभ वितरण कार्यक्रम
क्या है मामला?
जबलपुर निवासी छात्र अथर्व चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।उन्होंने बताया कि उन्होंने EWS वर्ग से नीट परीक्षा में 720 में से 530 अंक प्राप्त किए थे।इसके बावजूद, उन्हें निजी मेडिकल कॉलेज में सीट नहीं मिली।वहीं, उनसे कम अंक वाले उम्मीदवारों को एनआरआई कोटे और शासकीय स्कूल कोटे के तहत सीटें आवंटित की गईं।
याचिका में उठाए गए मुद्दे | MP High Court
याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी, जिसमें सत्र 2024-25 के लिए निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के नियम तय किए गए थे।याचिकाकर्ता का कहना था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में EWS वर्ग के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गईं, जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में यह आरक्षण पहले से लागू है।उन्होंने दलील दी कि केंद्र सरकार ने 2019 में ही EWS आरक्षण के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने इस पर अमल नहीं किया।
शासन का पक्ष
सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को नीट परीक्षा के नियमों की जानकारी पहले से थी और वह इन्हीं नियमों के तहत परीक्षा में शामिल हुए थे।
हाईकोर्ट का फैसला | MP High Court
हाईकोर्ट ने माना कि EWS वर्ग को निजी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अगले शैक्षणिक सत्र से निजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाई जाएं।साथ ही, EWS वर्ग के लिए सीटों का आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
फैसले का प्रभाव
EWS वर्ग के छात्रों को निजी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश का अधिक अवसर मिलेगा।राज्य के मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में संतुलन और समानता बढ़ेगी।निजी कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ने से अधिक छात्रों को उच्च शिक्षा का लाभ मिलेगा। Also Read – MP Board Exam : एमपी बोर्ड परीक्षा में बड़ा बदलाव