Success Story : कॉरपोरेट जॉब छोड़कर शुरू की दोना-पत्तल बनाने की कंपनी

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पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला अनोखा स्टार्टअप

Success Story – पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार और विभिन्न संस्थाएं निरंतर प्रयास कर रही हैं। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, युवा उद्यमी सचिन मदान ने सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की एक अनोखी पहल शुरू की। वर्ष 2020 में उन्होंने पत्तियों का उपयोग करके दोना-पत्तल बनाने का काम शुरू किया। उनका यह प्रयास न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना रहा है। आज उनकी कंपनी सरकारी संस्थानों और अन्य संगठनों के साथ मिलकर सफलतापूर्वक काम कर रही है।

प्रेरणा और शुरुआत | Success Story

सचिन का जन्म बैतूल जिले में हुआ, जहां उन्होंने देखा कि लोग पारंपरिक रूप से पत्तलों में खाना खाते हैं। पर्यावरण संरक्षण में कुछ नया करने की इच्छा और आत्मनिर्भर बनने की ललक ने उन्हें यह रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित किया। सचिन, जो एमबीए के बाद एक कॉरपोरेट कंपनी में नौकरी कर रहे थे, ने अपनी जमा पूंजी से पांच लाख रुपये की लागत से दक्षिण भारत से पत्तल बनाने की मशीन खरीदी। प्रारंभ में उन्हें गीली और ताजी पत्तियों से प्लेट बनाने में कठिनाई हुई, लेकिन उन्होंने पुरानी पत्तियों का उपयोग करके सफलता पाई। इसके बाद उन्होंने “बिराज ग्रीन्स” नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया। Also Read – MP Pashu Palan : प्रदेश में पशुपालन विभाग करेगा उच्च नस्ल की गायों की बछियों की बिक्री

पर्यावरण के लिए सकारात्मक कदम

सचिन का यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल और केमिकल-फ्री है। यह सिंगल-यूज प्लास्टिक का एक बेहतरीन विकल्प है। उनके उत्पादों को भोपाल के शाहपुरा स्ट्रीट फूड वेंडर्स, नगर निगम, और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट जैसे सरकारी संगठनों का भी समर्थन मिला। इस सहयोग के चलते, उनका काम लगातार प्रगति कर रहा है।

समुदाय के लिए रोजगार का साधन | Success Story

सचिन ने अपने स्टार्टअप के माध्यम से बैतूल और आसपास के 20 परिवारों को रोजगार दिया है। उन्होंने पिछले तीन वर्षों में 4,000 से अधिक लोगों को दोना-पत्तल बनाने का प्रशिक्षण दिया है। यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि ग्रामीण समुदायों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भी लाभकारी साबित हो रही है।

महत्वपूर्ण साझेदारियां और सफलता

उनका स्टार्टअप मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, और उत्तराखंड में विभिन्न प्रोजेक्ट चला रहा है। वे नगर निगम के स्वच्छता एंबेसडर के रूप में भी कार्यरत हैं। साथ ही, सेना, एमपी टूरिज्म, ईको टूरिज्म, और मुख्यमंत्री कार्यालय सहित कई संगठनों के साथ उनकी साझेदारी है। उनका उत्पाद गोवा के स्वामीनारायण मंदिर में भी आपूर्ति किया जाता है।

आर्थिक उपलब्धि | Success Story

सचिन ने 2020 में 5 लाख रुपये से शुरू किए इस व्यवसाय से 2022-2023 में 70 लाख रुपये का टर्नओवर हासिल किया। उनका यह प्रयास दर्शाता है कि सही सोच और कड़ी मेहनत से न केवल पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है, बल्कि समाज को भी सशक्त बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

सचिन मदान का स्टार्टअप एक प्रेरणादायक कहानी है। यह पर्यावरण को संरक्षित करने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उनका प्रयास यह साबित करता है कि यदि आप अपने विचारों पर विश्वास करते हैं और दृढ़ता से आगे बढ़ते हैं, तो सफलता निश्चित है। Also Read – MP Shramik : मध्य प्रदेश के श्रमिकों के लिए खुशखबरी

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