MP Shikshak : मध्यप्रदेश में शिक्षकों की वेतन वृद्धि पर अड़चन

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आदेश जारी न होने से आर्थिक नुकसान

सामान्य प्रशासन विभाग ने दी मंजूरी, लेकिन मामला लंबित

MP Shikshak – मध्यप्रदेश में शिक्षकों को चौथे समयमान वेतनमान का लाभ देने के प्रस्ताव को सामान्य प्रशासन विभाग से मंजूरी मिल चुकी है। इसके बावजूद, मंत्रालय में फाइल लंबित होने के कारण आदेश जारी नहीं हो पा रहे हैं। दो महीने से यह मामला रुका हुआ है, जिससे शिक्षकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है और उनके बीच नाराज़गी बढ़ रही है।

शिक्षक संघ ने उठाई मांग | MP Shikshak

मध्यप्रदेश शिक्षक संघ ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष, डॉ. क्षत्रवीर सिंह राठौड़ ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा था, जिसे दो महीने पहले मंत्रालय को भेज दिया गया। इसके बावजूद, आदेश जारी न होने से शिक्षकों को चौथे समयमान वेतनमान का लाभ नहीं मिल पा रहा है। Also Read – MP Atithi Shikshak : गेस्ट टीचर्स पर बड़ा फैसला

दूसरे विभागों में आदेश जारी, लेकिन शिक्षकों को इंतजार

चौथा समयमान वेतनमान केवल शिक्षा विभाग का मुद्दा नहीं है। पशुपालन विभाग के सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों के लिए भी यह वेतनमान प्रस्तावित था। उनके लिए दो महीने पहले ही आदेश जारी कर दिए गए, लेकिन शिक्षकों को अभी तक इसका लाभ नहीं मिला।

आर्थिक नुकसान और नाराज़गी | MP Shikshak

शिक्षकों के वेतन में वृद्धि न होने से उन्हें न केवल आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, बल्कि उनके भीतर असंतोष भी बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश शिक्षक संघ का कहना है कि आदेश जारी न होने से शिक्षकों के अधिकारों का हनन हो रहा है।

सीएम से मुलाकात की योजना

शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने घोषणा की है कि वे अगले सप्ताह मुख्यमंत्री मोहन यादव से मुलाकात करेंगे। उनकी मांग है कि शिक्षकों के समयमान वेतनमान के आदेश तुरंत जारी किए जाएं, ताकि शिक्षकों को उनका हक मिल सके।

निष्कर्ष | MP Shikshak

शिक्षकों को चौथे समयमान वेतनमान का लाभ मिलने में देरी न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रही है, बल्कि यह प्रशासनिक उदासीनता का भी संकेत है। शिक्षकों की नाराज़गी को देखते हुए सरकार को इस मुद्दे पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। इससे न केवल शिक्षकों का आर्थिक पक्ष मजबूत होगा, बल्कि उनके मनोबल में भी सुधार आएगा। Also Read – MP Police : मध्यप्रदेश पुलिस का ऐतिहासिक फैसला

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