MP Shikshak : प्रश्न पत्र निर्माण और मूल्यांकन में सहयोग न करने वाले शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई

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MP Shikshak – मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग परीक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। अब सरकारी कॉलेजों के वे शिक्षक, जो प्रश्न पत्र बनाने और मूल्यांकन कार्य में सहयोग नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे शिक्षकों को डी-बार किया जा सकता है, यानी वे भविष्य में इन कार्यों से बाहर कर दिए जाएंगे।

शिक्षकों की निगरानी के लिए विशेष निर्देश | MP Shikshak

उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों से ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार करने को कहा है, जो प्रश्न पत्र निर्माण और मूल्यांकन कार्य में सहयोग नहीं कर रहे हैं। नवंबर के अंत तक यह सूची विभाग को भेजनी होगी। हाल ही में विभाग के आयुक्त ने बरकतउल्ला, देवी अहिल्या, जीवाजी, विक्रम सहित अन्य राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों और परीक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में परीक्षा समय पर कराने और परिणामों को निर्धारित समय सीमा में जारी करने पर जोर दिया गया। Also Read – MP Sarkari Karmchari : मध्यप्रदेश को मिली नई सौगातें, रिटायरमेंट की उम्र में बदलाव

निजी कॉलेजों के शिक्षकों की भी ली जाएगी मदद

नए शिक्षा सत्र की परीक्षाएं अकादमिक कैलेंडर के अनुसार कराने के निर्देश दिए गए हैं। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों की परीक्षा के लिए एक नई रूपरेखा तैयार की है। इसके तहत, प्रत्येक विषय के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया जाएगा, जिसमें सरकारी और निजी कॉलेजों के शिक्षक शामिल होंगे। यह प्रक्रिया नवंबर से शुरू हो जाएगी, और इन शिक्षकों से प्रश्न पत्र तैयार करने में सहयोग लिया जाएगा।

प्रश्न पत्र बनाने में असहयोग करने पर होगी कार्रवाई | MP Shikshak

विशेषज्ञ पैनल के सदस्यों को अनिवार्य रूप से प्रश्न पत्र तैयार करने होंगे। यदि कोई शिक्षक इसमें सहयोग नहीं करता है, तो उसे तुरंत डी-बार किया जाएगा। इस निर्णय के तहत, संबंधित शिक्षकों के नाम उच्च शिक्षा विभाग को भेजे जाएंगे।

मूल्यांकन कार्य से बच रहे नियमित शिक्षक

राज्य के विश्वविद्यालयों में 800 से अधिक मूल्यांकनकर्ता हैं, लेकिन इनमें से केवल 10% ही सरकारी कॉलेजों के नियमित शिक्षक हैं। बाकी शिक्षक अतिथि विद्वान हैं। कई नियमित शिक्षक उत्तरपुस्तिकाओं की जांच करने से कतराते हैं और बहाने बनाकर इस कार्य से बचने की कोशिश करते हैं। जबकि नियमानुसार, सरकारी कॉलेजों के शिक्षकों के नियुक्ति पत्र में उत्तरपुस्तिका जांचने का प्रावधान शामिल है।

परीक्षा और परिणामों को समय पर लाने की कोशिश | MP Shikshak

उच्च शिक्षा विभाग की इस सख्ती का उद्देश्य परीक्षा और परिणाम प्रक्रिया को सुचारू बनाना है, ताकि छात्रों को समय पर परिणाम मिल सकें और उनके अकादमिक सत्र में कोई देरी न हो। शिक्षकों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि यदि वे अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाएंगे, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इस नई व्यवस्था से उम्मीद की जा रही है कि शिक्षकों की जवाबदेही बढ़ेगी और परीक्षा प्रक्रिया में सुधार आएगा, जिससे छात्रों को भी लाभ होगा। Also Read – MP Sarkari Karmchari : मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी

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