Svachchhata Kee Paathshaala – बैतूल में “स्वच्छता की पाठशाला” कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने छात्रों को स्वच्छता का महत्व सिखाया। उन्होंने सोमवार को शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक बनकर छात्राओं को स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया।
इस दौरान, मंत्री उइके ने छात्रों से स्वच्छता से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका उन्होंने सही उत्तर दिया। उन्होंने छात्राओं को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई। कार्यक्रम में कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी और जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. अनिल सिंह कुशवाह सहित कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। Svachchhata Kee Paathshaala
मंत्री उइके ने जोर देकर कहा कि कई बीमारियों का मुख्य कारण गंदगी होती है। उन्होंने बताया कि यदि हम स्वच्छ रहेंगे, तो स्वस्थ भी रहेंगे। उन्होंने छात्रों को चार अलग-अलग रंगों के डस्टबिन का सही उपयोग समझाया: Also Read – new variety of wheat : गेहूं की नई किस्म: रोगों से सुरक्षित, अधिक पैदावार सुनिश्चित
हरे डस्टबिन में गीला कचरा
नीले डस्टबिन में सूखा कचरा
काले डस्टबिन में घरेलू हानिकारक कचरा
पीले डस्टबिन में सेनेटरी वेस्ट और मेडिकल कचरा
घर में रखे डिब्बों को बनाए डस्टबिन : विनय वर्मा
नवदुनिया भोपाल के ब्यूरो चीफ विनय वर्मा ने स्वच्छता की पाठशाला में बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें स्वच्छता के प्रति जागरूक कराया । इस दौरान उन्होंने बच्चों से स्वच्छता को लेकर कई सवाल भी किए और इसके साथ ही उन्होंने बच्चों को स्वच्छता को लेकर कई जानकारी भी दी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि घर में रखें अनउपयोगी डिब्बों को डस्टबिन के रूप में उपयोग किया जा सकता है उन पर कलर करके अलग-अलग कचरे को डालने के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है ।उन्होंने भी कहा कि घर में हमारी मां बहन सफाई करती हैं उसमें भी हमें हाथ बताना चाहिए।
शांति निकेतन मांटेसरी स्कूल गाड़ाघाट में स्वच्छता की पाठशाला में टीचर के रूप में कमलेश खरे सहायक अधिकारी मत्स्य विभाग ,विनय वर्मा ब्यूरो चीफ नवदुनिया, अधिवक्ता संजय पप्पी शुक्ला,ममता बागड़े, अमित इरपाचे शामिल हुए । सभी ने स्वच्छता को लेकर स्कूली बच्चों को जागरूक किया और उन्हें संकल्प दिलाया की अपना घर, अपना स्कूल और अपना शहर स्वच्छ रखना है, स्वच्छता रहेगी तो हम भी स्वस्थ रहेंगे।
मंत्री उइके ने कहा कि इस अभियान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्कूलों में छात्रों को स्वच्छ पीने का पानी मिले और स्कूलों में स्वच्छ शौचालय उपलब्ध हों। बच्चों को हाथ धोने की आदत डालने की सलाह देते हुए, उन्होंने कहा कि यह एक सरल उपाय है जो बीमारियों से बचने में मदद कर सकता है। Svachchhata Kee Paathshaala
कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी ने इस अवसर पर कहा कि स्कूलों में बालिकाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि शौचालय के दरवाजों पर पुरुष और महिला के स्टीकर लगाए जाएं। इसके अतिरिक्त, महिला शौचालय में ढक्कन वाले डस्टबिन रखना अनिवार्य बताया गया।
सूर्यवंशी ने स्कूलों में सूखी पत्तियों से खाद बनाने की यूनिट स्थापित करने और स्कूल के किसी कोने को “कबाड़ से जुगाड़” अवधारणा पर विकसित करने की बात भी की। उन्होंने सभी छात्राओं को घरों और दुकानों पर चार अलग-अलग डस्टबिन रखने के महत्व के बारे में बताया, जिसमें गीला कचरा, सूखा कचरा, घरेलू जैव अपशिष्ट और हानिकारक कचरा अलग-अलग करके रखा जाना चाहिए।
इस तरह के प्रयास न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूक भी करते हैं। Also Read – new variety of wheat : HD-3385: किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर