MP Shikshak : मोहन सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों शिक्षकों की हुई मौज

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मध्यप्रदेश के 2 लाख शिक्षकों को चौथा वेतनमान जल्द मिलेगा

MP Shikshak – मध्यप्रदेश में असिस्टेंट टीचर, सीनियर ग्रेड टीचर, प्राइमरी टीचर, सेकेंडरी टीचर और हेडमास्टर जैसे लगभग 2 लाख शिक्षकों को जल्द ही चौथे समयमान वेतनमान का लाभ मिलने की उम्मीद है। इस नई व्यवस्था के तहत शिक्षकों के वेतन में 3000 रुपये तक की वृद्धि हो सकती है। फिलहाल, प्रदेश के कई अन्य विभागों के कर्मचारियों को चौथे समयमान वेतनमान का लाभ पहले से ही दिया जा रहा है।

वित्त विभाग के पास फाइल भेजी गई | MP Shikshak

स्कूल शिक्षा विभाग से सामान्य प्रशासन विभाग को इस विषय पर अनुमति मिल चुकी है और अब इसे वित्त विभाग के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है। जल्द ही शिक्षकों को इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। Also Read – MP News : गोदामों में सड़ते अनाज के संरक्षण के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम

किन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ?

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा चुनाव के दौरान घोषणा की थी कि जिन कर्मचारियों की 35 साल की सेवा पूरी हो चुकी है, उन्हें चौथे वेतनमान का लाभ दिया जाएगा। कई विभागों में यह व्यवस्था पहले ही लागू की जा चुकी है। अब, मध्यप्रदेश के 2 लाख शिक्षकों को भी इसका लाभ मिलने की उम्मीद है।

कौन-कौन से विभागों में लागू है चौथा वेतनमान? | MP Shikshak

वर्तमान में मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को 10, 20 और 30 साल की सेवा पूरी करने पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय समयमान वेतनमान दिया जाता है। राज्य प्रशासनिक सेवा और वित्त सेवा के अधिकारियों को पांचवां समयमान वेतनमान मिल रहा है, जबकि राज्य वन सेवा के अधिकारियों को चौथा समयमान वेतनमान मिल रहा है।

सेवा की गणना कैसे की जाएगी?

चतुर्थ समयमान वेतनमान के लिए सेवा अवधि की गणना उस तारीख से की जाएगी जब कर्मचारी ने पहली बार प्रतियोगी या चयन परीक्षा के माध्यम से भर्ती के पद पर कार्यभार ग्रहण किया हो। इसके साथ ही, वेतनमान का लाभ पाने के लिए कर्मचारी को उन अर्हताओं को पूरा करना आवश्यक होगा, जो सेवा भर्ती नियमों के अनुसार पदोन्नति के लिए निर्धारित हैं। इसमें सेवा अभिलेख का सही होना भी अनिवार्य है। Also Read – Plastic Free Campaign – प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत बैतूल जिले में 2997 किलोग्राम प्लास्टिक एकत्रित

इस फैसले से प्रदेश के शिक्षकों को न केवल वित्तीय लाभ मिलेगा, बल्कि उनके मनोबल में भी वृद्धि होगी, जिससे वे और अधिक समर्पण के साथ शिक्षण कार्य में योगदान दे सकेंगे।

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