नियमों को सख्त करने बनाए गए ड्राफ्ट
MP News – प्रदेश में अवैध कॉलोनियों का निर्माण और इसे बढ़ावा देने वालों पर सरकार की नजर सख्त हो रही है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अवैध कॉलोनियों को रोकने के लिए सख्त नियमों का मसौदा तैयार किया है। इस प्रस्ताव के तहत, जो अधिकारी या कर्मचारी अवैध कॉलोनियों की शिकायतों पर जांच और कार्रवाई नहीं करेंगे, उन्हें तीन साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर भी शामिल हैं, जिन पर लापरवाही के आरोप साबित होने पर सजा और जुर्माना लगाया जाएगा।
पुलिस अधिकारी भी आएंगे घेरे में | MP News
अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस सहायता न देने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी यही नियम लागू होंगे। अवैध कॉलोनियों के निर्माणकर्ताओं के लिए सजा और जुर्माने की राशि में भी वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। Also Read – MP Shikshak : मोहन सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों शिक्षकों की हुई मौज
नए नियमों का मसौदा
नगरीय विकास की समीक्षा बैठक के बाद विभागीय मंत्री ने सख्त नियम बनाने का निर्देश दिया, जिसके बाद संचालनालय ने इस पर मसौदा तैयार किया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि जो अधिकारी अवैध कॉलोनियों को रोकने में नाकाम रहेंगे या कार्रवाई को टालेंगे, उन्हें दोषी माना जाएगा।
कॉलोनी को वैध कैसे माना जाता है? | MP News
कॉलोनी का वैध होना सुनिश्चित करने के लिए नगर और ग्राम निवेश से भूमि विकास की अनुमति और कॉलोनी के नक्शे का अनुमोदन जरूरी है। इसके अलावा, कॉलोनाइजर का पंजीकरण और अनुमोदित नक्शे के आधार पर कॉलोनी में विकास कार्यों की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। यदि यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तो कॉलोनी अवैध मानी जाती है। नगर निगम में यह जिम्मेदारी निगम आयुक्त की होती है, जबकि नगरपालिका परिषद और नगर परिषद में जिला कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी होते हैं।
सजा और जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव
अभी तक, अवैध कॉलोनी बनाने वालों के लिए न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। नए प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर न्यूनतम 7 साल और अधिकतम 10 साल करने का सुझाव दिया गया है। जुर्माना भी बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक करने का प्रस्ताव है, जो पहले 10 लाख रुपये था।
प्रदेश में अवैध कॉलोनियों की स्थिति | MP News
प्रदेश में अब तक 7981 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की जा चुकी हैं।
इनमें से 3155 नगर निगम क्षेत्रों में और 4826 नपा और नगर परिषद क्षेत्रों में हैं।
अवैध कॉलोनियों की समस्याएं
प्लॉट खरीदने वालों को भवन अनुज्ञा और पानी का कनेक्शन नहीं मिलता।
नगरीय निकायों द्वारा इन कॉलोनियों में कोई विकास कार्य नहीं किए जाते।
अनियंत्रित और अनियोजित विकास से नागरिकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जलनिकास अवरुद्ध होता है और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
राज्य सरकार को राजस्व की हानि होती है, और ये कॉलोनियां भविष्य में नगरीय निकायों पर वित्तीय बोझ बन जाती हैं।
नए नियमों के जरिए सरकार अवैध कॉलोनियों की समस्या को सुलझाने और नगरीय विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है। Also Read – Plastic Free Campaign – प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत बैतूल जिले में 2997 किलोग्राम प्लास्टिक एकत्रित
MP News : मोहन सरकार सख्त, जांच और कार्रवाई न करने वाले अफसर को होगी सजा
नियमों को सख्त करने बनाए गए ड्राफ्ट
MP News – प्रदेश में अवैध कॉलोनियों का निर्माण और इसे बढ़ावा देने वालों पर सरकार की नजर सख्त हो रही है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अवैध कॉलोनियों को रोकने के लिए सख्त नियमों का मसौदा तैयार किया है। इस प्रस्ताव के तहत, जो अधिकारी या कर्मचारी अवैध कॉलोनियों की शिकायतों पर जांच और कार्रवाई नहीं करेंगे, उन्हें तीन साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर भी शामिल हैं, जिन पर लापरवाही के आरोप साबित होने पर सजा और जुर्माना लगाया जाएगा।
पुलिस अधिकारी भी आएंगे घेरे में | MP News
अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस सहायता न देने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी यही नियम लागू होंगे। अवैध कॉलोनियों के निर्माणकर्ताओं के लिए सजा और जुर्माने की राशि में भी वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। Also Read – MP Shikshak : मोहन सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों शिक्षकों की हुई मौज
नए नियमों का मसौदा
नगरीय विकास की समीक्षा बैठक के बाद विभागीय मंत्री ने सख्त नियम बनाने का निर्देश दिया, जिसके बाद संचालनालय ने इस पर मसौदा तैयार किया। इसमें स्पष्ट किया गया है कि जो अधिकारी अवैध कॉलोनियों को रोकने में नाकाम रहेंगे या कार्रवाई को टालेंगे, उन्हें दोषी माना जाएगा।
कॉलोनी को वैध कैसे माना जाता है? | MP News
कॉलोनी का वैध होना सुनिश्चित करने के लिए नगर और ग्राम निवेश से भूमि विकास की अनुमति और कॉलोनी के नक्शे का अनुमोदन जरूरी है। इसके अलावा, कॉलोनाइजर का पंजीकरण और अनुमोदित नक्शे के आधार पर कॉलोनी में विकास कार्यों की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। यदि यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तो कॉलोनी अवैध मानी जाती है। नगर निगम में यह जिम्मेदारी निगम आयुक्त की होती है, जबकि नगरपालिका परिषद और नगर परिषद में जिला कलेक्टर सक्षम प्राधिकारी होते हैं।
सजा और जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव
अभी तक, अवैध कॉलोनी बनाने वालों के लिए न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। नए प्रस्ताव में इसे बढ़ाकर न्यूनतम 7 साल और अधिकतम 10 साल करने का सुझाव दिया गया है। जुर्माना भी बढ़ाकर 50 लाख रुपये तक करने का प्रस्ताव है, जो पहले 10 लाख रुपये था।
प्रदेश में अवैध कॉलोनियों की स्थिति | MP News
प्रदेश में अब तक 7981 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की जा चुकी हैं।
इनमें से 3155 नगर निगम क्षेत्रों में और 4826 नपा और नगर परिषद क्षेत्रों में हैं।
अवैध कॉलोनियों की समस्याएं
प्लॉट खरीदने वालों को भवन अनुज्ञा और पानी का कनेक्शन नहीं मिलता।
नगरीय निकायों द्वारा इन कॉलोनियों में कोई विकास कार्य नहीं किए जाते।
अनियंत्रित और अनियोजित विकास से नागरिकों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जलनिकास अवरुद्ध होता है और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
राज्य सरकार को राजस्व की हानि होती है, और ये कॉलोनियां भविष्य में नगरीय निकायों पर वित्तीय बोझ बन जाती हैं।
नए नियमों के जरिए सरकार अवैध कॉलोनियों की समस्या को सुलझाने और नगरीय विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है। Also Read – Plastic Free Campaign – प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत बैतूल जिले में 2997 किलोग्राम प्लास्टिक एकत्रित