कहा- “रास्ते में मिला कोई दोस्त, तो…”
Champai Soren – झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने एक नई पार्टी बनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वह संघर्ष करके इस नई पार्टी को खड़ा करेंगे। चंपई सोरेन ने यह भी कहा कि अगर इस यात्रा में उन्हें कोई साथी मिला, तो वह उसके साथ हाथ मिलाने को तैयार होंगे। मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद, चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, और कुछ दिनों बाद उनकी नाराजगी सार्वजनिक हो गई थी।
बीजेपी में शामिल होने की अटकलें | Champai Soren
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं पिछले कुछ दिनों से चल रही थीं। यह कहा जा रहा था कि उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेताओं से भी बातचीत की थी, और जेएमएम के कुछ विधायक भी उनके संपर्क में थे। हालांकि, बीजेपी के साथ उनकी बातचीत सफल नहीं हुई, जिसके बाद उन्होंने झारखंड लौटकर नई पार्टी बनाने की घोषणा की। Also Read – Government Jobs : यहाँ अप्रेंटिस के साथ अन्य 504 पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कौन कर सकते हैं अप्लाई
हमेशा जनता के हित में राजनीति की है: चंपई सोरेन
चंपई सोरेन ने अपने एक बयान में लिखा कि उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, हमेशा जनहित की राजनीति की है। उन्होंने राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। चाहे वे किसी पद पर रहे हों या नहीं, उन्होंने हमेशा जनता के लिए खुद को उपलब्ध रखा और उनके मुद्दों को उठाते रहे, जो झारखंड राज्य के बेहतर भविष्य का सपना देख रहे थे।
चंपई सोरेन ने अपमान का आरोप लगाया | Champai Soren
चंपई सोरेन ने आरोप लगाया था कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए उनके कार्यक्रमों को किसी और व्यक्ति द्वारा रद्द करवा दिया गया, जिसे उन्होंने अपमानजनक बताया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने यह प्रस्ताव दिया कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह हो और दोपहर में विधायक दल की बैठक हो, जिसमें वे शामिल हो सकें, तो इसे साफ तौर पर खारिज कर दिया गया।
झारखंड आंदोलन में चंपई सोरेन की भूमिका
चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कई बार झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में विभाजन होने के बावजूद वे शिबू सोरेन के साथ खड़े रहे। 1991 में उन्होंने पहली बार विधायक का चुनाव जीता, और बाद में जेएमएम में शामिल हो गए। हालांकि, साल 2000 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2005 से उन्होंने लगातार जीत दर्ज की। पहली बार वे बीजेपी और जेएमएम के गठबंधन वाली सरकार में मंत्री बने थे। हेमंत सोरेन के पहले कार्यकाल में भी उन्हें मंत्री बनाया गया। 2019 के चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम की बड़ी जीत में उनका बड़ा योगदान माना जाता है। Also Read – MP IAS Transfer : प्रदेश ने फिर एक बड़ा प्रशासनिक फेरबदल, 9 IAS अधिकारियों का किया गया तबादला