Monkey Pox : डराने लगा मंकीपॉक्स, अफ्रीका से पाकिस्तान तक पहुंचा, विशेषज्ञ चिंतित

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कहीं कोविड – 19 से ज्यादा खतरनाक तो नहीं

Monkey Pox – दुनिया के कई देश इस समय मंकीपॉक्स के संक्रमण से जूझ रहे हैं। अफ्रीका और यूरोप के बाद अब यह वायरस एशियाई देशों में भी फैलने लगा है। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने सभी देशों को इस संक्रामक रोग के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है। अध्ययनों से पता चला है कि मंकीपॉक्स अत्यधिक संक्रामक और जानलेवा हो सकता है, और थोड़ी सी भी लापरवाही इसके व्यापक प्रसार का कारण बन सकती है।

हाल की रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान और स्वीडन में भी इस संक्रामक रोग के मामले सामने आए हैं। पड़ोसी देश में मामले मिलने के बाद भारत भी सतर्क हो गया है। बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। राहत की बात यह है कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। Also Read – MP News : रक्षाबंधन के दिन छुट्टी को लेकर मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को बड़ा झटका

मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ता जा रहा है | Monkey Pox

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस वायरस की प्रकृति को देखते हुए इसके तेजी से फैलने का जोखिम अधिक है। कुछ रिपोर्टों में यह कहा जा रहा है कि मंकीपॉक्स, कोरोनावायरस से भी अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि पिछले दो वर्षों में कोविड-19 के बाद मंकीपॉक्स सबसे गंभीर और विनाशकारी रोगों में से एक रहा है।

क्या यह कोविड से भी अधिक खतरनाक हो सकता है? आइए दोनों वायरल संक्रमणों की तुलना करते हैं।

कोरोनावायरस और कोविड-19 | Monkey Pox

अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि सार्स-सीओवी-2 (जो कोविड-19 का कारण बनता है) और मंकीपॉक्स वायरस कई मायनों में एक-दूसरे से बहुत अलग हैं। हालांकि, दोनों ही वायरस जूनोटिक रोग हैं, जिसका मतलब है कि ये जानवरों से इंसानों में फैलते हैं। माना जाता है कि सार्स-सीओवी-2 चमगादड़ों से फैला है, जबकि मंकीपॉक्स का पहला मामला बंदरों में देखा गया था।

संक्रमण के प्रसार के जोखिम और लक्षणों में अंतर इन दोनों संक्रामक रोगों को एक-दूसरे से अलग बनाता है। Also Read – MP News : 1981 में पारित नियम को मोहन सरकार ने किया खत्म, अब इन्हे नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी

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